दि मालवा वनस्पति एण्ड केमिकल प्रायवेट लिमिटेड को तगड़ा झटका, किया था शर्तों का उल्लंघन

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By Akanksha JainPublished On: November 11, 2020

इंदौर 11 नवम्बर, 2020
दि मालवा वनस्पति एण्ड केमिकल प्रायवेट लिमिटेड ग्राम भागीरथपुरा तहसील व जिला इंदौर की भूमि सर्वे क्रमांक 81, 82 पार्ट, 83, 84/2,85 पार्ट, 86/1/1 पार्ट, 86/2, 86/3 पार्ट एवं 87/1/1 पार्ट कुल रकबा 11.484 हेक्टेयर मे से 9.584 हेक्टेयर भूमि पर फ्लेटेड फैक्ट्री उपयोग की विकास अनुज्ञा में अधिरोपित शर्तों के उल्लंघन को देखते हुये दी गई अनुमति प्रतिसंहित (रिव्होक) की गई है। इस संबंध में संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय इंदौर द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है।
बताया गया है कि इन्हें ग्राम भागीरथपुरा इंदौर की भूमि सर्वे क्रमांक 81, 82 पार्ट, 83, 84/ 2, 85 पार्ट, 86/1/1पार्ट, 86/2, 86/3 पार्ट एवं 87/1/1 पार्ट कुल रकबा 11.484 हेक्टेयर में से 9.584 हेक्टेयर भूमि पर दिनांक 7 दिसम्बर, 2018 को प्लेटेड फैक्ट्री उपयोग हेतु सशर्त विकास अनुज्ञा जारी की गई थी। इस संबंध में दी गई विकास अनुज्ञा की शर्त क्रमांक 08 अनुसार अनुमति अहस्तातरणीय थी। साथ ही उक्त अनुमति में कहा गया था कि शर्त क्रमांक 16 अनुसार विषयांकित भूमि का उप विभाजन अथवा भूखण्डो का विक्रय मान्य नही होगा एवं निर्मित बिल्टअप क्षेत्रफल का ही विक्रय किया जा सकेगा तथा भूमि पर सार्वजनिक पार्किंग एवं एम.ओ एस. का विक्रय प्रतिबंधित रहेगा।
इनके द्वारा गत 26 जून, 2020 को तीन विक्रय पत्रो का निष्पादन कर उसे पंजीकृत करवाये गये थे, जिनके माध्यम से प्रश्नगत भूमि में से यूनिट क्रमांक सी-3. सी-4 एवं सी-5 की भूमि का विक्रय किया गया। उक्त विक्रेय पत्रों में विक्रेता के रूप में भूमि एवं उस पर निर्मित कथित प्लींथ का विक्रय किया गया, जबकि विक्रय पत्र के साथ संलग्न फोटो से यह स्पष्ट पाया गया कि, प्लींथ का निर्माण नहीं किया गया है तथा स्थल पर कुछ गड्ढे, फुटिंग तथा दो तीन स्थल पर कॉलम है। इनके द्वारा दी गई अनुज्ञा की शर्त क्रमांक 16 का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए उपरोक्त वर्णित विकय पत्रों के माध्यम से भूखण्डो का विक्रय किया गया है, जबकि केवल निर्मित बिल्टअप क्षेत्रफल का ही विक्रय किया जा सकता था। उल्लेखनीय है कि फ्लेटेड फैक्ट्री उपयोग हेतु विकास अनुज्ञा दी गई थी, जिसके अनुसार भवन का निर्माण कर अलग अलग तलो पर प्रकोष्ठों का विक्रय करना। इस तरह अनुज्ञा की शर्त क्रमांक 16 का स्पष्ट उल्लंघन पाया गया।
शर्त क्रमांक 16 अनुसार सार्वजनिक पार्किंग एवं एम.ओ.एस. का विक्रय प्रतिबंधित था। इसके उल्लंघन में विक्रय पत्रों के माध्यम से इन्होंने भूखण्ड के अनुलग्न क्षेत्र अर्थात एमओएस को क्रेता पक्ष के स्वतंत्र उपयोग-उपभोग हेतु प्रदान किया है, जबकि उक्त एमओएस निर्मित होने वाले सम्पूर्ण भवन का शामिलाती क्षेत्र होने के कारण उसे किसी भी क्रेता को स्वतंत्र उपयोग-उपभोग हेतु विकय पत्र के माध्यम से नहीं दिया जा सकता। इस तरह इनके द्वारा स्पष्ट रूप से अनुज्ञा की शर्त क्रमांक 16 का उल्लंघन किया गया।
इनके द्वारा विक्रय पत्रो के साथ जो भूखण्डीय विकास का अभिन्यास लगाया गया, जो कि किसी प्राधिकारी या स्थानीय निकाय द्वारा अनुमोदित नहीं था। प्रदत्त की गई अनुज्ञा के अभिन्यास से पूर्णत भिन्न था। इस तरह स्पष्ट से विक्रय पत्रों के साथ कूटरचित अभिन्यास संलग्न किया गया, जिसका कोई वैधानिक आधार नहीं था। इससे अनुचित धन का लाभ प्राप्त करने एवं नियमो / अनुमतियों के बाहर जाकर विक्रय किये जाने की मंशा प्रकट हुई।
विक्रय पत्र पंजीकृत कराते समय मिथ्या कथन तथा कूटरचित दस्तावेज जिसमें प्राप्त अनुमति फ्लेटेड फेक्ट्री उपयोग की अनुज्ञा के स्थान पर भूखडीय विकास का मानचित्र संलग्न किया गया, जिससे इनकी वास्तविक मंशा जो कि भूखंडों का विक्रय करना था प्रकट हुई। इनकी मंशा भूखण्डो का विक्रय करना था क्योंकि यदि इनके द्वारा भूखण्डीय विकास की अनुमति ली जाती तो इन्हें अधिकतम निर्मित क्षेत्रफल मात्र 53197.20 वर्ग मीटर ही प्राप्त होता परन्तु फ्लेटेड फेक्ट्री विकास की अनुज्ञा प्राप्त करने से इन्हें उससे कहीं ज्यादा निर्मित क्षेत्रफल अर्थात 94995 वर्ग मीटर उपलब्ध हुआ । इस वजह से इनके द्वारा फ्लेटेड फेक्ट्री विकास की अनुमति प्राप्त कर उसका उल्लंघन करते हुए अवैधानिक लाभ अर्जित करने की मंशा से भूखण्डो का विक्रय किया गया।
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर इनके द्वारा शर्तों का उल्लंघन पाया गया। इन्हें पक्ष रखने के लिये कई बार समय दिया गया। इनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। इस आधार पर इन्हें 7 दिसम्बर, 2018 को जारी अनुमति मे अधिरोपित शर्तो का उल्लंघन किये जाने के कारण जारी अनुमति की अनुमति को मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 के नियम 25 के तहत प्रतिसंहित (रिव्होक) किया गया हैं।