Supreme Court Decision On FIR in GST, Customs Cases : सुप्रीम कोर्ट ने आज (27 फरवरी 2025) को एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया, जिसमें जीएसटी और सीमा शुल्क एक्ट के तहत संभावित गिरफ्तारी का सामना कर रहे लोगों को अग्रिम जमानत लेने का अधिकार दिया गया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस प्रावधान का पालन गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) और कस्टम्स एक्ट के तहत भी किया जाएगा, जिससे आरोपित व्यक्ति गिरफ्तारी या एफआईआर दर्ज होने से पहले ही अग्रिम जमानत के लिए अदालत में अपील कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ जीएसटी या सीमा शुल्क एक्ट के तहत गिरफ्तारी का खतरा है, तो वह एफआईआर दर्ज होने से पहले भी अदालत से अग्रिम जमानत ले सकता है। इसका मतलब है कि आरोपी को गिरफ्तार करने से पहले ही उसे अदालत से सुरक्षा मिल सकती है, भले ही उसके खिलाफ कोई मुकदमा दायर न हुआ हो।

2018 में दायर की गई थी याचिका
यह फैसला 2018 में राधिका अग्रवाल द्वारा दायर याचिका के आधार पर आया था, जिसमें जीएसटी और कस्टम्स एक्ट के दंड प्रावधानों को चुनौती दी गई थी। इन प्रावधानों को भारतीय दंड संहिता (CrPC) और संविधान से संबंधित बताया गया था।
CRPC के प्रावधान होंगे लागू
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के प्रावधान, जो गिरफ्तारी से पहले राहत का प्रावधान करते हैं, वो अब जीएसटी और कस्टम्स एक्ट के तहत भी लागू होंगे। इसका मतलब यह है कि अब कोई भी व्यक्ति गिरफ्तारी से पहले अदालत में जाकर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।