NEET UG Success Story : देश की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET UG के नतीजे घोषित हो गए और इस बार राजस्थान के सीकर से एक सफलता की कहानी सामने आई है। जिसने छात्रों और अभिभावकों का दिल जीत लिया है। दरअसल NEET UG में राजस्थान के सीकर में रहने वाले बिडियासर भाइयों की जोड़ी ने कमाल किया है।
दोनों भाइयों ने NEET UG 2025 में किया बेहतरीन प्रदर्शन

नागौर जिले के डीडवाना कस्बे से ताल्लुक रखने वाले सगे भाई अनीस बिडियासर और आशीष बिडियासर ने एक साथ NEET परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर ऑल इंडिया टॉप रैंक हासिल किया है। सीकर की एक निजी कोचिंग संस्थान में पढ़ते हुए दोनों भाइयों ने NEET UG 2025 में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
अनीश बिडियासर ने ऑल इंडिया रैंक 194 और कैटिगरी रैंक 46 हासिल की है जबकि आशीष को ऑल इंडिया रैंक 244 और कैटिगरी रैंक 66 मिले हैं। दोनों भाइयों ने इस उपलब्धि को अपने माता-पिता के सपनों की पूर्ति की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
कैसे की तैयारी
बता दे कि दोनों भाई नागौर के डीडवाना कस्बे के निवासी हैं। उनके पिता ठेकेदारी का काम करते हैं जबकि माता गृहणी है। सीमित संसाधन के बावजूद बच्चों ने पढ़ाई में कोई कमी नहीं रखी। अनीश और आशीष ने बताया कि उन्होंने एक ही कमरे में रहकर, एक जैसे दिनचर्या के साथ पूरी तैयारी की है।
आशीष कहते हैं कि हम दोनों भाई एक साथ उठते, साथ पढ़ते और साथ ही टेस्ट पेपर बनाकर एक दूसरे को देते थे। उन्होंने बताया कि रोजाना 8 से 11 घंटे की सेल्फ स्टडीज मोबाइल से दूरी और नियमित पढ़ाई के कारण उन्हें यह सफलता हासिल हुई है। ऐसे में यही उनकी सफलता के मंत्र है।
हर घटनाएं को अवसर में बदला
दोनों भाई डॉक्टर बनना चाहते हैं। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते उन्होंने हर घटनाएं को अवसर में बदला है। परिवार के समर्थन, खुद की मेहनत और एक दूसरे के साथ, इन तीन स्तंभों पर खड़ी उनकी सफलता की इमारत आज सभी के लिए मिसाल बन गई है। अनीस बिडियासर कहते हैं की पढ़ाई के समय हमने कभी भी मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया। त्यौहार शादी विवाह में भी जाना छोड़ दिया था।
अनीश और आशीष के पिता बेहद खुश
इस सफलता पर अनीश और आशीष के पिता बेहद खुश हैं। उन्होंने गर्व और भावुकता के साथ कहा कि मेरे दोनों बेटे मेरे लिए करण अर्जुन है। वह कभी आपस में नहीं झगड़ते, हमेशा एक दूसरे का साथ देते हैं। बचपन से ही मैंने उन्हें ऐसे संस्कार दिए हैं और आज उन्हीं संस्कारों की बदौलत वे दोनों NEET पास कर डॉक्टर बनने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि दोनों बेटे हॉस्टल में रहकर पूरी लगन से पढ़ाई कर रहे थे और कभी किसी सामाजिक और पारिवारिक आयोजन में शामिल नहीं हुए। जिसके कारण उनकी तैयारी में निरंतरता बनी रही।
बिडियासर भाइयों की सफलता राजस्थानी नहीं पूरे देश के छात्रों के लिए एक मिसाल बन गई है। वहीं यह कहानी बताती है कि जब लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत सच्ची हो तो संसाधन की कमी भी हार की वजह नहीं बन सकती।