Retirement Age Hike : मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को जल्द रिटायरमेंट आयु में बढ़ोतरी का लाभ मिल सकता है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया है कि प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों के रिटायरमेंट आयु को बढ़ाने में कोई भी कानूनी अड़चन नहीं है।
इस मामले में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और अंगस्थिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मध्य प्रदेश न्यायिक संघ द्वारा दायर की याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि राज्य का उच्च न्यायालय अपने प्रशासनिक विवेक से इस प्रस्ताव को विचार कर सकता है और इसे अधिमान्यतः दो महीने के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए।

रिटायरमेंट आयु 60 से बढ़कर 62 वर्ष करने की मांग
बता दे 2018 में न्यायिक संघ ने पहले जिला न्यायाधीशों के रिटायरमेंट आयु 60 से बढ़कर 62 वर्ष करने की मांग की थी। हालांकि बाद में इसने अपने प्रस्ताव को संशोधित करते हुए इसे 61 तक सीमित कर दिया था। वही रिटायरमेंट 61 वर्ष करने के पीछे कई राज्यों की मिसाल भी दी गई थी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पहले प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और कहा था कि 2002 के अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ केस के फैसले में इसे बड़ा के रूप में देखा गया है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
हालांकि सोमवार को सीजेआई ने तेलंगाना सरकार से जुड़े हालिया आदेश का हवाला देते हुए अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने यही स्पष्ट किया है कि न्यायिक अधिकारियों के रिटायरमेंट आयु को 61 वर्ष तक बढ़ाने में किसी भी तरह की वैधानिक अड़चन नहीं है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि उस आदेश को ध्यान में रखते हुए हमने मध्य प्रदेश राज्य को अपने न्यायिक अधिकार के रिटायरमेंट आयु बढ़ाकर 61 वर्ष करने की अनुमति देने में कोई बाधा नहीं दिखाई दे रही है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है की अंतिम निर्णय मध्य प्रदेश से हाई कोर्ट को अपने प्रशासनिक भूमिका से लेना होगा। यदि हाई कोर्ट इस प्रस्ताव को मंजूरी देता है तो राज्य में न्यायाधीशों के रिटायरमेंट 61 वर्ष हो सकती है।