इस दिन भस्म आरती के साथ महाकाल करेंगे गरम जल से स्नान, उज्जैन जाने से पहले नोट कर लें जानकारी

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By Pinal PatidarPublished On: October 10, 2025

विश्व प्रसिद्ध उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में इस साल दीपावली का आयोजन रूप चतुर्दशी के दिन, यानी 20 अक्टूबर को किया जाएगा। सुबह के चार बजे भस्म आरती के समय मंदिर में खास कार्यक्रम शुरू होंगे। इस दिन विशेष रूप से भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराने की परंपरा की शुरुआत भी होगी, जो अगले साल फाल्गुन पूर्णिमा होली तक जारी रहेगी।

दीपावली की अनूठी परंपरा


यहाँ की दीपावली अन्य स्थानों से थोड़ी अलग होती है। आम जनता तो कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनाती है, लेकिन महाकाल मंदिर में यह उत्सव एक दिन पहले, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन ही मनाया जाता है। मंदिर की परंपरा के अनुसार, सबसे पहले महाकाल के आंगन में दीपोत्सव मनाना अनिवार्य होता है।

भस्म आरती और राजसी श्रृंगार

भस्म आरती के समय पुजारी भगवान महाकाल को केसर और चंदन का उबटन लगाकर स्नान कराते हैं। इसके बाद नए वस्त्र धारण कराकर भगवान का राजसी श्रृंगार किया जाता है, जिसमें सोने और चांदी के आभूषण शामिल होते हैं। पूजा के बाद अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाता है और फुलझड़ी की रोशनी में दीपावली का आनंद लिया जाता है।

अन्नकूट की विशेष परंपरा

महाकाल मंदिर में अन्नकूट की परंपरा भी अनोखी है। सामान्यतः देवालयों में अन्नकूट कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा को लगाया जाता है, खासकर श्रीकृष्ण मंदिरों में गोवर्धन पूजा के साथ। लेकिन महाकाल मंदिर में यह सबसे पहले रूप चतुर्दशी के दिन भगवान महाकाल को अर्पित किया जाता है। भस्म आरती करने वाले पुजारी परिवार की ओर से इस दिन अन्नकूट लगाना अनिवार्य होता है।

सवारी की परंपरा

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार से भगवान महाकाल की सवारी शुरू होती है। यह क्रम अगहन मास की अमावस्या तक चलता है। हर सोमवार, भगवान महाकाल रजत पालकी में विराजमान होकर शिप्रा नदी के तट पर तीर्थ पूजन के लिए ले जाए जाते हैं।

सवारी का विस्तृत कार्यक्रम

इस वर्ष कार्तिक और अगहन मास में महाकाल की सवारी इस प्रकार आयोजित की जाएगी:
• 27 अक्टूबर: कार्तिक मास की प्रथम सवारी
• 03 नवंबर: कार्तिक मास की द्वितीय सवारी
• 03 नवंबर, रात 11 बजे: हरि हर मिलन की सवारी
• 10 नवंबर: अगहन मास की पहली सवारी
• 17 नवंबर: कार्तिक-अगहन मास की राजसी सवारी

इस प्रकार, महाकाल मंदिर में कार्तिक-अगहन मास का हर सोमवार और विशेष दिन भगवान की सवारी, पूजा और उत्सव के माध्यम से भक्तों के लिए एक अद्वितीय अनुभव बनता है।