DAVV ने शुरू की डिजिटल सुविधा, एक ही क्लिक पर मिलेगी डिग्री और मार्कशीट

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By Raj RathorePublished On: September 2, 2025

इंदौर स्थित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) अब पुराने तौर-तरीकों को पीछे छोड़कर पूरी तरह डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय ने अपने पिछले 50 वर्षों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को डिजिटलीकृत करने का बड़ा अभियान शुरू किया है। इसका मतलब यह है कि 1970 से 2020 तक पासआउट हुए लाखों विद्यार्थियों की डिग्रियां और मार्कशीट अब अलमारियों में धूल खाने के बजाय केवल एक क्लिक पर ऑनलाइन उपलब्ध होंगी।


पहले चरण में 8 लाख विद्यार्थियों का रिकॉर्ड

इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत चरणबद्ध तरीके से की गई है। पहले चरण में करीब 8 लाख विद्यार्थियों के शैक्षणिक दस्तावेजों को डिजिटल फॉर्मेट में बदला जा रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने एक नामी आईटी कंपनी को जिम्मेदारी सौंपी है। खास बात यह है कि विश्वविद्यालय के संवेदनशील और गोपनीय रिकॉर्ड को बाहर नहीं भेजा गया है। आईटी कंपनी ने DAVV के नालंदा परिसर में ही अस्थायी कार्यालय बनाकर डेटा डिजिटलीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया है।

80 हजार रिकॉर्ड पहले ही ऑनलाइन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटीज को अपने पुराने रिकॉर्ड को डिजिटलीकृत करने के निर्देश दिए थे। DAVV ने इस दिशा में तेजी दिखाते हुए पिछले वर्ष ही यूजी अंतिम वर्ष के लगभग 80 हजार विद्यार्थियों का डेटा ऑनलाइन कर दिया था। अब इस नए अभियान से पूरा विश्वविद्यालय डिजिटल डेटा बैंक तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

डिजीलॉकर से जुड़ेगी डिग्रियां और मार्कशीट

विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक डिजिटलीकरण पूरा होते ही विद्यार्थियों को उनकी अंकसूचियां और डिग्रियां सीधे डिजीलॉकर से उपलब्ध होंगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि किसी भी सरकारी नौकरी, उच्च शिक्षा संस्थान या विदेश में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र तत्काल मिल जाएगा। अब उन्हें दस्तावेज़ लेने के लिए लंबी प्रक्रियाओं और इंतजार का सामना नहीं करना पड़ेगा।

सभी प्रमुख कोर्स होंगे शामिल

इस परियोजना के तहत बीए, बीकॉम, बीएससी, एमए, एमकॉम, एमएससी जैसे सभी प्रमुख पाठ्यक्रमों का डेटा शामिल किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि हर विद्यार्थी को उसकी शैक्षणिक उपलब्धियों का डिजिटल रिकॉर्ड आसानी से उपलब्ध हो सके। इससे विश्वविद्यालय के कामकाज में पारदर्शिता भी आएगी और विद्यार्थियों का समय तथा ऊर्जा दोनों की बचत होगी।

दो साल में पूरा होगा काम

DAVV के कुलसचिव डॉ. प्रज्वल खरे ने बताया कि इस काम को पूरा करने के लिए आईटी कंपनी को दो साल का समय दिया गया है। परियोजना पूरी होने के बाद विश्वविद्यालय के पास 50 साल का मजबूत डिजिटल डेटा बैंक होगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा।