ISIS पुणे मॉड्यूल केस में एनआईए की बड़ी कामयाबी, NIA ने किया एक को गिरफ्तार

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By Dileep MishraPublished On: July 11, 2025
एनआई का एक्शन

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) पुणे स्लीपर मॉड्यूल मामले में एक और बड़ी गिरफ्तारी करते हुए रिजवान अली उर्फ अबू सलमा उर्फ मोला को गिरफ्तार कर लिया है। रिजवान इस मामले में गिरफ्तार होने वाला 11वां आरोपी है और उस पर 3 रुपये लाख का इनाम भी घोषित था। सूत्रों के अनुसार, रिजवान भारत में इस्लामिक स्टेट की आतंकी विचारधारा को फैलाने, नए सदस्य भर्ती करने और संभावित आतंकी गतिविधियों की साजिश रचने में अहम भूमिका निभा रहा था। उसके खिलाफ पहले से ही NIA की विशेष अदालत ने स्थायी गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया हुआ था।

युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में थी भूमिका

एनआईए की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि रिजवान अली आईएसआईएस के ऑनलाइन और ऑफलाइन नेटवर्क से सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ था। वह भारत में विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना जैसे राज्यों में युवाओं को रेडिकलाइज करने का काम कर रहा था। रिजवान इंटरनेट के जरिए आईएसआईएस के प्रचार सामग्री को साझा करता था, गोपनीय चैट ग्रुप्स में आतंकी ट्रेनिंग, बम बनाने के तरीके और छिपने के तरीकों की जानकारी देता था। उसका मुख्य उद्देश्य था, भारत में खुरासान मॉड्यूल जैसे स्लीपर सेल्स का निर्माण करना और भविष्य में आतंकी हमलों को अंजाम देना।

पहले भी सामने आ चुके हैं हाई-प्रोफाइल लिंक

NIA ने 2023 में पुणे से जुड़े ISIS स्लीपर मॉड्यूल को लेकर बड़ी कार्रवाई शुरू की थी। जिसमें अब तक 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी थी। इन अभियुक्तों पर देश के भीतर आतंकी हमलों की योजना, हथियारों और विस्फोटकों की आपूर्ति, और फंडिंग नेटवर्क खड़ा करने जैसे गंभीर आरोप हैं। रिजवान की गिरफ्तारी से जांच एजेंसी को उम्मीद है कि आईएसआईएस के भारत में ऑपरेशनल नेटवर्क और इसकी विदेशी फंडिंग के कई और राज सामने आ सकते हैं। इस मॉड्यूल के तार सीरिया, अफगानिस्तान और खाड़ी देशों में बैठे आतंकी आकाओं से भी जुड़े बताए जा रहे हैं।

देशविरोधी गतिविधियों में शामिल रह चुका है आरोपी

एनआईए की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है। रिजवान अली आईएसआईएस की विचारधारा से पूरी तरह प्रभावित था और देशविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वह लंबे समय से अंडरग्राउंड होकर काम कर रहा था। उसकी गिरफ्तारी देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अब रिजवान को अदालत में पेश कर NIA रिमांड पर लिया जाएगा, जहां उससे मॉड्यूल के अन्य सहयोगियों, विदेशी संपर्कों और फंडिंग चैनलों को लेकर गहन पूछताछ की जाएगी। जांच एजेंसी यह भी पता लगाने की कोशिश करेगी कि रिजवान किन-किन राज्यों में गया, वहां उसने किन लोगों से संपर्क किया, और कितने युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर धकेला।

ISIS जैसे संगठनों पर एनआईए का शिकंजा मजबूत

रिजवान अली की गिरफ्तारी NIA की एक और बड़ी सफलता है, लेकिन यह मामला साफ दर्शाता है कि भारत में कट्टरपंथी संगठनों का नेटवर्क गुप्त रूप से अभी भी सक्रिय है। ये स्लीपर मॉड्यूल धीरे-धीरे आकार ले रहे हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए नई पीढ़ी को निशाना बना रहे हैं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं और लगातार मॉनिटरिंग कर रही हैं, लेकिन यह ज़रूरी है कि आम नागरिक भी किसी भी संदिग्ध गतिविधि को लेकर सतर्क रहें और समय रहते सूचना साझा करें। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार, एजेंसियों और समाज सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।