MP News: एमपी में जापान-भारत औद्योगिक सहयोग की नई शुरुआत, जापानी पर्यटकों के लिए बौद्ध सर्किेट बनाने की योजना

Abhishek singh
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार शाम को जापान की चार दिवसीय यात्रा समाप्त की और स्वदेश लौटे। टोक्यो और ओसाका में आयोजित बैठकों और रोड शो में जापानी कंपनियों ने मध्य प्रदेश में निवेश के प्रति अपनी गहरी रुचि दिखाई है। राज्य में जापान-मध्य प्रदेश औद्योगिक सहयोग फोरम की स्थापना का प्रस्ताव अब स्वीकृत हो चुका है। इसके साथ ही, प्रदेश में जापानी इंडस्ट्रियल पार्क, कौशल विकास केंद्र और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग हब की स्थापना जल्द ही हो सकती है।

सीएम मोहन यादव ने बताया कि सरकार ने राज्य में ‘जापान प्लस सेल’ स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत एक समर्पित टीम जापानी निवेशकों के साथ संपर्क बनाए रखेगी और फॉलोअप करेगी। इसके अलावा, प्रदेश के समग्र विकास के लिए जापान का मॉडल अब अपनाया जाएगा। इस तरह, मुख्यमंत्री यादव के मिशन ज्ञान (गरीब-युवा-अन्नदाता-नारी शक्ति) में जापान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जापान से निवेश प्राप्त होने पर प्रदेश में औद्योगिक विकास, रोजगार, स्व-रोजगार जैसे कई क्षेत्रों में बड़े बदलाव होंगे। इस यात्रा के दौरान, मुख्यमंत्री ने जापान के उद्योगपतियों और निवेशकों को ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (GIS) का निमंत्रण भी दिया।

सीएम डॉ. मोहन यादव ने दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि टोक्यो की गवर्नर युरिको कोइके के साथ बैठक में शहरी विकास के नए पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। इस सहयोग से प्रदेश के शहरों को टोक्यो मेट्रोपॉलिटन गवर्नमेंट की विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा। विशेष रूप से भोपाल और इंदौर के लिए मेट्रो रेल प्रौद्योगिकी, स्मार्ट सिटी समाधान, जल प्रबंधन और कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में मदद मिलेगी। टोक्यो के विकास मॉडल को प्रदेश में लागू करने के दिशा में यह एक अहम कदम है।

उन्होंने आगे बताया कि जापान के विदेश मंत्रालय में संसदीय उप-मंत्री हिसाशी मात्सुमोतो के साथ भी एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें प्रदेश में जापानी निवेश को बढ़ावा देने के लिए विशेष कदम उठाने पर सहमति बनी। इसके अलावा, व्यापार मिशन का आदान-प्रदान, कौशल विकास में जापानी विशेषज्ञों की भागीदारी, और जापान-मध्य प्रदेश औद्योगिक सहयोग फोरम की स्थापना के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है।

प्रदेश में हाई स्पीड रेल नेटवर्क के लिए अध्ययन शुरू

सीएम ने बताया कि जापान के भूमि और बुनियादी ढांचा मंत्रालय (MLIT) के मंत्री यासुशी फुरुकावा के साथ बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। मध्य प्रदेश में हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर की संभावनाओं का अध्ययन किया जाएगा, साथ ही स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम और लॉजिस्टिक्स में जापानी मॉडल को अपनाने पर सहमति बनी। ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में विशेष सहयोग से प्रदेश में सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा। जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष सुसुमु काताओका के साथ बैठक में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष फ्रेमवर्क पर सहमति बनी, साथ ही जेट्रो से प्रदेश में अपना कार्यालय स्थापित करने का अनुरोध किया गया। जापान इंटरनेशनल कॉपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शोहेई हारा के साथ भी विकास परियोजनाओं पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। सरकार ने जेआईसीए के सामने भोपाल-इंदौर-उज्जैन शहरी परिवहन, जापानी औद्योगिक पार्क, जल संरक्षण, शहरी नवीनीकरण, कौशल विकास और कृषि तकनीक में नई परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा। इसके अलावा, सरकार की विभिन्न प्रमुख जापानी कंपनियों जैसे टोयोटा, ब्रिजस्टोन, सिस्मैक्स, पैनासोनिक एनर्जी, यूनिक्लो, एबारा कॉर्पोरेशन, नितोरी होल्डिंग्स, योकोगावा इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन और हेल्थकेयर कंवनी एएनडी से भी वन-टू-वन बातचीत की गई।

जापान-मध्य प्रदेश सहयोग, बौद्ध सर्किट के निर्माण की पहल

सीएम डॉ. मोहन यादव ने बताया कि क्योटो के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों जैसे सांजूसंगेंदो मंदिर, निजो कैसल और टू-जी मंदिर के दौरे ने पारंपरिक धरोहरों के आधुनिक प्रबंधन का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। क्योटो ने अपनी प्राचीन धरोहर को आधुनिक विकास के साथ जिस तरह से संतुलित किया है, वह मध्यप्रदेश के लिए एक आदर्श बन सकता है। इस यात्रा के परिणामस्वरूप, सरकार ने निर्णय लिया है कि जापान की तकनीक और प्रबंधन पद्धतियों को राज्य के विरासत स्थलों में लागू किया जाएगा। विशेष रूप से उज्जैन में महाकाल लोक, सांची के बौद्ध परिसर और खजुराहो के मंदिरों के प्रबंधन में इन विधियों का प्रयोग किया जाएगा। बौद्ध सर्किट के विकास में क्योटो के अनुभवों का योगदान महत्वपूर्ण साबित होगा। सांची से देवनी-जाखोरा तक के बौद्ध स्थलों को जापानी पर्यटकों के लिए आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।