MP Land Acquisition: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में यातायात को सुगम बनाने के लिए पश्चिमी 4-लेन बायपास परियोजना को मंजूरी मिल गई है। इसके लिए 25 गांवों की 557 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। करीब 35.60 किलोमीटर लंबा यह बायपास बनने के बाद यात्रा का समय एक घंटे तक कम हो जाएगा। लगभग 9 महीने तक चले विस्तृत सर्वे के बाद नए रूट को अंतिम रूप दिया गया है।
परियोजना की लागत और अधिग्रहण प्रक्रिया
मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPRDC) और जिला प्रशासन की बैठक में तय किया गया है कि भूमि अधिग्रहण का कार्य 6 से 8 महीने में पूरा करने का लक्ष्य रहेगा। इस पर कुल 470 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। रायसेन कलेक्टर के पास जमा 100 करोड़ रुपये अब भोपाल कलेक्टर के खाते में स्थानांतरित होंगे। कोलार और हुजूर एसडीएम गांवों एवं खसरा नंबरों का विस्तृत ब्यौरा दर्ज कर नोटिफिकेशन जारी करेंगे।
वन विभाग की मंजूरी जरूरी
बायपास के मार्ग में वन विभाग और अन्य सरकारी विभागों की भूमि भी आ रही है। निर्माण कार्य शुरू करने से पहले सभी विभागों से आवश्यक अनुमतियां ली जाएंगी। मंजूरी मिलते ही भूमि अधिग्रहण और निर्माण की प्रक्रिया एक साथ आगे बढ़ेगी। इस परियोजना से भोपाल के ट्रैफिक प्रबंधन में काफी सुधार होने की उम्मीद है।
रूट और यात्रा समय में बदलाव
• यह 4-लेन बायपास रतनपुर रोड से शुरू होगा।
• कोलार और रातीबड़ होकर भोपाल-देवास रोड से गुजरेगा।
• फंदा कलां तक इसकी लंबाई 35.60 किलोमीटर होगी।
• इसके निर्माण से यात्रा का समय मौजूदा 1.5 घंटे से घटकर लगभग 30 मिनट रह जाएगा।
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया और मुआवजा
नोटिफिकेशन जारी होने के बाद प्रभावित लोगों को 30 दिन का समय मिलेगा, जिसमें वे अपने दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे। इसके बाद धारा-19 और धारा-21 का प्रकाशन होगा। प्रभावित परिवारों को कलेक्टर गाइडलाइन से दोगुना मुआवजा दिया जाएगा, जिससे पुनर्वास प्रक्रिया आसान हो सके।
टाइगर रिजर्व और वन्यजीव सुरक्षा उपाय
इस नए रूट में रातापानी टाइगर रिजर्व के बफर जोन का हिस्सा भी शामिल है। पहले यह हिस्सा 6.1 किमी था, जिसे घटाकर 5.45 किमी कर दिया गया है। वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 7 जगहों पर साउंड-प्रूफ एलिवेटेड रोड बनाई जाएगी, जिनके नीचे से बाघ और अन्य जानवर आसानी से गुजर सकेंगे। सड़क के दोनों ओर 10 मीटर ऊंची फेंसिंग लगाई जाएगी। इन वाया-डक्ट्स के निर्माण पर लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
परियोजना का मॉडल और रखरखाव
यह 4-लेन बायपास हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल पर बनाया जाएगा। निर्माण लागत का 60% हिस्सा मेसर्स पीएनपी इंफ्राटेक लिमिटेड वहन करेगी, जबकि शेष 40% राशि राज्य सरकार दो साल में किस्तों के रूप में देगी। कंपनी को अगले 15 साल तक बायपास का रखरखाव करना होगा।
टोल संग्रह व्यवस्था
इस मार्ग पर एक टोल नाका स्थापित किया जाएगा। टोल से होने वाली आय सीधे MPRDC के खाते में जमा होगी, जिसे परियोजना के रखरखाव और संचालन में उपयोग किया जाएगा।