MP High Court का बड़ा फैसला, 14 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात कराने की दी अनुमति

Author Picture
By Sandeep SharmaPublished On: June 19, 2024

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सिंगरौली जिले में कुछ महीने पहले कथित रूप से अपहरण और बलात्कार की शिकार हुई 14 वर्षीय लड़की के गर्भपात की अनुमति दे दी है। अदालत ने अधिकारियों को डीएनए परीक्षण के लिए भ्रूण को संरक्षित करने का भी निर्देश दिया।

हाल ही में एक आदेश में न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया ने कहा कि, गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन करने वाले डॉक्टर और राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं होंगे और गर्भपात का चिकित्सीय समापन केवल लड़की के माता-पिता के जोखिम और लागत पर किया जाएगा। अदालत ने कहा कि लड़की के माता-पिता अपनी बेटी को प्रक्रिया के लिए सिंगरौली के जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) के पास ले जा सकते हैं।

भ्रूण को लेकर अदालत ने जताई चिंता
अदालत ने कहा कि अगर सीएमएचओ को लगता है कि लड़की को बेहतर इलाज के लिए किसी मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल में भेजने की जरूरत है। तो वह उसे गर्भपात के लिए उक्त अस्पताल में रेफर कर सकते हैं। भ्रूण को संरक्षित करने का निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि इसे तुरंत जांच एजेंसी को सौंप दिया जाए। इसमें कहा गया है, “जांच अधिकारी को भ्रूण को जब्त किए जाने की तिथि से दो दिनों के भीतर “डीएनए फिंगरप्रिंट प्रयोगशाला” में भेजने का निर्देश दिया गया है।”

क्या था मामला?
स्थानीय पुलिस सूत्रों के अनुसार, किशोरी इस वर्ष की शुरुआत में लापता हो गई थी और जिले के मोरवा पुलिस स्टेशन में अपहरण का मामला दर्ज किया गया था। एक महीने से अधिक समय बाद जब उसका पता चला, तो नाबालिग को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया, जिसमें पता चला कि वह गर्भवती थी। पुलिस ने बाद में भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत बलात्कार के आरोपों के साथ एफआईआर को आगे बढ़ाया। उसके पिता ने फिर गर्भपात के लिए अदालत का रुख किया।