MANIT की NIRF रैंकिंग में लगातार गिरावट, छात्रों में भविष्य को लेकर बढ़ी चिंता

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By Raj RathorePublished On: September 8, 2025

भोपाल का मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MANIT) इस साल नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF 2025) में पिछड़ गया है। इंजीनियरिंग श्रेणी में संस्थान को 81वां स्थान मिला है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कमजोर स्थिति है। वर्ष 2022 में मैनिट 70वें स्थान पर था, 2023 में यह 80 तक खिसक गया। 2024 में थोड़ी सुधार की झलक दिखाते हुए 72वां स्थान हासिल किया, लेकिन 2025 में फिर से गिरकर 81 पर पहुंच गया। यह उतार-चढ़ाव स्पष्ट संकेत देता है कि संस्थान स्थायी सुधार की दिशा में मजबूत कदम नहीं उठा पा रहा है।


क्यों हो रही है रैंकिंग में गिरावट?

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि मैनिट की गिरावट का सबसे बड़ा कारण शोध और इनोवेशन में पिछड़ना है। संस्थान इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स, रिसर्च पेपर्स और प्रोफेशनल प्रैक्टिस जैसे मानकों पर संतोषजनक प्रदर्शन नहीं कर पा रहा। उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए शोध और प्रोजेक्ट्स की गुणवत्ता महत्वपूर्ण मापदंड हैं, लेकिन मैनिट इस क्षेत्र में लगातार कमजोर रहा है। जब तक संस्थान शोध पर जोर नहीं देगा और प्रोजेक्ट्स को मजबूत आधार नहीं मिलेगा, तब तक सुधार की संभावना सीमित है।

छात्रों के आत्मविश्वास और प्लेसमेंट पर असर

रैंकिंग में गिरावट का सीधा असर मैनिट के छात्रों पर भी देखा जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर अन्य आईआईटी और एनआईटी के साथ प्रतिस्पर्धा करने में वे खुद को पिछड़ा हुआ महसूस करते हैं। यह स्थिति प्लेसमेंट और करियर अवसरों पर भी नकारात्मक असर डालती है। एक समय देश के शीर्ष तकनीकी संस्थानों में गिने जाने वाला मैनिट अब धीरे-धीरे अपनी ब्रांड वैल्यू खोता जा रहा है। इसका असर न केवल वर्तमान छात्रों पर पड़ रहा है, बल्कि नए प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों और रिसर्च प्रोजेक्ट्स की संभावनाओं पर भी पड़ता है।

भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

मैनिट की सबसे बड़ी चुनौती रिसर्च और इनोवेशन में अपनी पकड़ मजबूत करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि संस्थान आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित नहीं करता, तो प्रदेश के तकनीकी शिक्षा संस्थान राष्ट्रीय स्तर की रेस में और पीछे छूट जाएंगे। गुणवत्तापूर्ण रिसर्च, पेटेंट्स, इंडस्ट्री से सहयोग और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करना ही वह रास्ता है जिससे मैनिट अपनी पुरानी पहचान वापस हासिल कर सकता है।

किन बिंदुओं पर तय होती है रैंकिंग

NIRF की रैंकिंग कई महत्वपूर्ण मानकों पर आधारित होती है। इसमें फैकल्टी की संख्या और उनकी योग्यता, छात्र-शिक्षक अनुपात, पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं और कक्षाओं की गुणवत्ता के साथ-साथ वित्तीय संसाधनों का इस्तेमाल भी शामिल होता है। इसके अलावा संस्थान का शोध स्तर, प्रकाशित रिसर्च पेपर्स, पेटेंट्स, पीएचडी छात्रों की संख्या और इंडस्ट्री से जुड़ाव अहम भूमिका निभाते हैं।

छात्रों का प्रदर्शन और प्रतिष्ठा भी अहम

रैंकिंग में छात्रों के प्रदर्शन को भी बड़ी गंभीरता से आंका जाता है। इसमें पास होने वाले छात्रों की संख्या, प्लेसमेंट की स्थिति, उच्च शिक्षा में जाने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत, स्टार्टअप्स में सक्रियता और एंटरप्रेन्योरशिप का स्तर शामिल होता है। साथ ही, संस्थान की प्रतिष्ठा को लेकर शिक्षाविदों, नियोक्ताओं और आम जनता का नजरिया भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इन सभी पहलुओं पर संतुलित सुधार ही किसी भी संस्थान की रैंकिंग और विश्वसनीयता को मजबूत बना सकता है।