उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध बाबा महाकाल मंदिर में इस बार सावन-भादौ माह के दौरान नए दान का रिकॉर्ड बना है। मंदिर समिति की जानकारी के अनुसार, 39 दिनों में भक्तों ने कुल 30 करोड़ रुपए का दान किया। इस दौरान मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या 1.25 करोड़ से अधिक रही। पिछले साल 2023 में यह आंकड़ा 23 करोड़ रुपए था, जिससे इस साल दान और भक्तों दोनों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली।
रोजाना भक्तों की संख्या में इजाफा
मंदिर समिति के आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में हर दिन औसतन 3 लाख 20 हजार से अधिक भक्त बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचे। पिछले वर्ष 2024 में भक्तों की संख्या 90 लाख थी, जबकि 2023 में कुल 99 लाख भक्त दर्शन के लिए आए थे। इस तरह 2025 में भक्तों की संख्या अब तक सबसे अधिक 1.25 करोड़ तक पहुंच गई है।
दान में भारी बढ़ोत्तरी
दान की बात करें तो हर दिन औसतन 75 लाख रुपए का योगदान आया। पिछले दो सालों में मंदिर में दान की राशि में लगभग 10 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ। पिछले वर्षों की तुलना में इस साल दान की राशि और भक्तों की संख्या दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
पिछले सात वर्षों में 1 अरब से अधिक दान
मंदिर समिति के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात वर्षों में बाबा महाकाल मंदिर में कुल 1 अरब से अधिक का दान आया है। 2018 से 2021 के बीच प्रतिदिन 40-50 हजार भक्त दर्शन करने आते थे, लेकिन अब यह संख्या 90 हजार से 1 लाख के बीच पहुंच गई है। 2018-2021 के बीच 40 करोड़ 69 लाख 49 हजार रुपए का दान हुआ था, जबकि 2019-2025 के बीच कुल दान 1 अरब 70 करोड़ 25 लाख 6 हजार 484 रुपए तक पहुँच गया। यह राशि केवल दान और भेंट पेटियों से ही प्राप्त हुई है, इसमें अन्य सेवाओं से मिलने वाली राशि शामिल नहीं है।
उज्जैन की धार्मिक पर्यटन में बढ़ी लोकप्रियता
भक्तों की बढ़ती संख्या के कारण उज्जैन शहर देशभर में एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है। बाबा महाकाल मंदिर में लगातार बढ़ती संख्या ने न केवल मंदिर की आय बढ़ाई है, बल्कि शहर की आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी लाई है। दर्शनार्थियों और धार्मिक पर्यटकों की अधिकता ने उज्जैन को धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से विशेष महत्व देने में योगदान दिया है।
मंदिर से मिलने वाले अन्य योगदान
मंदिर समिति के अनुसार, दान के अलावा टिकट, शीघ्र दर्शन टिकट, प्रसादी और अन्य सेवाओं के माध्यम से भी महत्वपूर्ण आय प्राप्त होती है। इन सभी योगदानों से मंदिर की कुल आय में निरंतर वृद्धि होती जा रही है, जिससे धार्मिक और प्रशासनिक सुविधाओं का विस्तार संभव हो रहा है।