विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अब एक और आधुनिक कदम उठाया गया है। मंदिर प्रबंध समिति ने भक्तों के लिए डिजिटल भुगतान प्रणाली शुरू की है, जिससे दान (भेंट) और लड्डू प्रसाद की खरीद अब क्यूआर कोड स्कैन करके की जा सकेगी। मंदिर प्रशासन के अनुसार, भक्त अब नकद लेकर घूमने की झंझट से मुक्त रहेंगे। मंदिर परिसर के दान काउंटरों, लड्डू प्रसाद केंद्रों, और अन्य प्रमुख स्थानों पर विशेष क्यूआर कोड लगाए गए हैं। श्रद्धालु बस अपने मोबाइल से इन्हें स्कैन कर सकते हैं और गूगल पे, फोनपे, पेटीएम जैसे किसी भी यूपीआई ऐप से सीधे भुगतान कर सकते हैं। मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि “यह व्यवस्था भक्तों की सुविधा और पारदर्शिता को ध्यान में रखकर शुरू की गई है। इससे दान राशि सीधे मंदिर समिति के खाते में जाएगी और नकदी प्रबंधन की दिक्कत भी कम होगी।” लड्डू प्रसाद 400 रुपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध रहेगा और त्योहारों पर विशेष काउंटर भी लगाए जाएंगे ताकि श्रद्धालुओं को इंतजार न करना पड़े।
एक ही दिन दो बार नगर भ्रमण करेंगे बाबा महाकाल
महाकाल भक्तों के लिए इस बार एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। कार्तिक मास की 3 नवंबर को बाबा महाकाल एक ही दिन दो सवारियों के रूप में नगर भ्रमण करेंगे। पहली सवारी शाम 4 बजे पारंपरिक मार्ग से निकलेगी, जो कार्तिक मास की परंपरागत शोभायात्रा होगी। इसके बाद रात्रि 11 बजे बाबा की हरिहर भेंट सवारी निकलेगी, जो गोपाल मंदिर तक जाएगी। मंदिर समिति के अनुसार, “वर्षों बाद यह अनोखा योग बन रहा है, जब एक ही दिन में बाबा दो बार नगर भ्रमण करेंगे।” उज्जैनवासी और श्रद्धालु इस अद्भुत आयोजन का साक्षी बनने को उत्साहित हैं।
शीतकाल के साथ बदलेंगे महाकाल मंदिर की तीन आरतियों के समय
शरद ऋतु के आगमन के साथ ही महाकाल मंदिर में आरती के समयों में भी परिवर्तन किया जा रहा है। 8 अक्टूबर, कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से यह नया समय लागू होगा। पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि हर छह माह में मौसम परिवर्तन के अनुसार आरतियों के समय में बदलाव किया जाता है। अब दद्योदक आरती सुबह 7 बजे की जगह 7:30 से 8:15 बजे तक, भोग आरती सुबह 10 बजे की जगह 10:30 से 11:15 बजे तक और संध्या आरती शाम 7 बजे की जगह 6:30 से 7:15 बजे तक की जाएगी। हालांकि, भस्म आरती, सांध्य पूजन और शयन आरती के समय में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ये पूर्ववत रात 10:30 से 11:00 बजे तक ही संपन्न होंगी।
डिजिटल युग में परंपरा का संगम – श्रद्धा, तकनीक और विश्वास का अनोखा मेल
महाकाल मंदिर का यह नया कदम आस्था और तकनीक का सुंदर संगम है। जहां एक ओर भक्तों को आधुनिक सुविधा मिलेगी, वहीं मंदिर प्रशासन को पारदर्शी और सुरक्षित प्रणाली का लाभ मिलेगा। कार्तिक मास जैसे पर्वों में उमड़ने वाली भक्त भीड़ के बीच यह डिजिटल व्यवस्था निश्चित रूप से एक सकारात्मक बदलाव लाएगी। महाकाल नगरी उज्जैन एक बार फिर अपनी संस्कृति, परंपरा और नवाचार के संगम का उदाहरण पेश कर रही है।