मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग के 27% आरक्षण से संबंधित डेली हियरिंग, जो कल 24 सितंबर से शुरू होने वाली थी, अब 8 अक्टूबर को होगी। इस मामले में चल रही राजनीतिक बहस पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने कांग्रेस नेताओं को जल्दबाजी न करने की सलाह दी है।
ओबीसी आरक्षण सुनवाई फिर टली
भोपाल में सीएम से पूछा गया कि ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई फिर क्यों टली, तो सीएम ने बताया कि हमारी सरकार ने इस मामले में पूरी स्पष्टता दिखाई है। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक के जरिए और कोर्ट में दस्तावेज प्रस्तुत करके हमने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। इसके साथ ही हमने सर्वानुमति से यह भी अनुरोध किया है कि 13% होल्ड किए गए पदों को अनहोल्ड किया जाए।
हर वर्ग को मिले आरक्षण का लाभ
सीएम ने कहा कि हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारी नीतियाँ प्रधानमंत्री जी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के सिद्धांतों पर आधारित हैं। एसटी, एससी, ओबीसी और सामान्य वर्ग सभी को उनके निर्धारित आरक्षण का पूर्ण लाभ मिलना चाहिए और यही हमारी दिशा है।
इस मामले में 15,000 से अधिक दस्तावेज फाइल किए गए हैं, इसलिए थोड़ा समय देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि न्यायालय इस मामले की सुनवाई फिर 8 अक्टूबर को करेगा। हमारा कहना है कि सुनवाई जब भी हो, सभी पक्षों पर ध्यान रखा जाए।
कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने के बाद पीसीसी प्रमुख जीतू पटवारी ने X पर लिखा कि आज (24 सितंबर) ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन मोहन सरकार के वकीलों की अपर्याप्त तैयारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। माननीय अदालत ने मोहन सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि “लगता है आप आर्गुमेंट करना ही नहीं चाहते।”
इससे स्पष्ट होता है कि मोहन यादव जी ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने के पक्ष में नहीं हैं। यह मामला बार-बार अदालतों में अटका हुआ है, जबकि मोहन सरकार लगातार बहाने बनाकर ओबीसी वर्ग को परेशान कर रही है।
मैं सभी ओबीसी वर्ग के भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूँ कि मोहन यादव जी कितनी भी कोशिश करें, हम ओबीसी वर्ग का 27% आरक्षण हासिल किए बिना पीछे नहीं हटेंगे।
जल्दबाज़ी ना करे कांग्रेस
मैं कांग्रेस के साथियों से कहना चाहता हूँ कि जल्दबाजी न करें। हमारी एकजुटता का लाभ तभी अदालत में दिखाई देगा। जल्दी निर्णय लेने से ओबीसी वर्ग के साथ-साथ किसी भी अन्य वर्ग को भी नुकसान हो सकता है, इसलिए संयम बनाए रखना आवश्यक है।