मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में आयोजित मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में सिंहस्थ-2028 की तैयारियों की समीक्षा की गई। बैठक में सीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए कि आयोजन से जुड़े सभी निर्माण और विकास कार्य दिसंबर 2027 तक हर हाल में पूरे कर लिए जाएं। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था और हमारी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा महापर्व है, इसलिए हर कार्य समयबद्ध और उच्च गुणवत्ता का होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सिंहस्थ-2028 केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्रदेश की पहचान और गौरव का प्रतीक भी है। इसे विश्वस्तरीय आयोजन बनाने के लिए सरकार कोई कमी नहीं छोड़ेगी।
सात हिस्सों में बंटेगा उज्जैन, आसान होगी व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि निर्माण कार्यों में स्थानीय नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए और उनकी राय को महत्व दिया जाए। सिंहस्थ के दौरान भीड़ नियंत्रण, यातायात व्यवस्था, पार्किंग और पदयात्रियों की सुविधाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। साथ ही, स्वच्छता बनाए रखने के लिए कचरा प्रबंधन में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग अनिवार्य होगा। उज्जैन को सात जोनों में विभाजित कर पेयजल, स्वच्छता, यातायात, कानून-व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाएगा।
खंडवा, मंदसौर और खरगोन को भी मिलेगी सौगात
बैठक में कुल 2675 करोड़ रुपये की लागत से जुड़े 33 कार्यों को स्वीकृति के लिए पेश किया गया। इनमें से 25 कार्य उज्जैन, 3 खंडवा, 2 मंदसौर और 3 खरगोन में प्रस्तावित हैं। स्वीकृति के लिए रखे गए इन प्रोजेक्ट्स में नगरीय विकास एवं आवास विभाग के 21 कार्य, लोक निर्माण विभाग के 6 कार्य, रेलवे से जुड़े 2 कार्य तथा पर्यटन, गृह, एमपीआरडीसी और जल संसाधन विभाग के एक-एक कार्य शामिल हैं।