मध्यप्रदेश में तकनीक और नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए लागू सरकारी नीतियों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। फरवरी में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद राज्य को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 2500 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इस निवेश से 30 हजार से अधिक नए रोजगार अवसर बनने की संभावना है। वहीं, भोपाल और इंदौर में पाँच बड़ी कंपनियाँ डिजिटल कंसल्टेंसी, मेडिकल टेक्नोलॉजी, आईटी और फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर की स्थापना कर रही हैं।
सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को मिलेगा बढ़ावा
भोपाल स्थित आईआईएसईआर में 85.51 करोड़ रुपये की लागत से एआई-सक्षम ड्रोन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया जा रहा है। इस केंद्र से अगले तीन वर्षों में 200 से अधिक शोधकर्ता और ड्रोन विशेषज्ञ तैयार होंगे। वहीं, ग्वालियर के एबीवी-ट्रिपल आईटीएम में 14.67 करोड़ रुपये की लागत से सेमीकंडक्टर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की नींव रखी जा रही है, जहाँ ग्रीन चिप टेक्नोलॉजी और क्वांटम हार्डवेयर पर उन्नत शोध होगा। इससे सेमीकंडक्टर उद्योग को नई दिशा और मजबूती मिलेगी।
विशेष नीतियों से नवाचार और उद्योग को प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि राज्य सरकार की नीतियां टियर-2 शहरों को भी तकनीकी विकास की मुख्यधारा से जोड़ रही हैं। ड्रोन, सेमीकंडक्टर, आईटी और स्पेस-टेक जैसे क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष नीतियां लागू की गई हैं। नीति संवाद के दौरान वर्ल्ड बैंक और गूगल के प्रतिनिधियों ने मध्यप्रदेश को लाइटहाउस स्टेट बनाने के सुझाव दिए और एआई व क्लाउड तकनीक के माध्यम से राज्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की संभावनाओं पर जोर दिया।