
मध्य प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के हालिया तबादलों ने स्कूल शिक्षा विभाग की नीतियों और कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। इन तबादलों के बाद कई ग्रामीण स्कूल खाली हो गए हैं, वहीं पहले से ही भीड़ से जूझ रहे शहरी स्कूलों में और अधिक शिक्षकों को तैनात कर दिया गया। इससे न केवल छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि व्यवस्था की असमानता भी उजागर हो रही है।
तबादलों के बाद ऐसी स्थिति बन गई है जहां कुछ स्कूलों में केवल 18 बच्चों के लिए 3 शिक्षक मौजूद हैं, वहीं कुछ स्कूलों में सारे शिक्षक हटा दिए गए हैं और दर्जनों छात्र बिना शिक्षा के रह गए हैं। यह स्पष्ट करता है कि तबादला नीति में कोई संतुलन नहीं रखा गया है। कई स्थानों पर बिना छात्र संख्या देखे शिक्षकों को नियुक्त किया गया, और कुछ स्कूलों को बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया गया।

भोपाल स्थित लोक शिक्षण संचालनालय में भी भारी गड़बड़ी
स्कूलों में तबादलों की प्रक्रिया सिर्फ जिला स्तर तक सीमित नहीं रही, बल्कि भोपाल स्थित लोक शिक्षण संचालनालय तक में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। शिक्षकों की मनपसंद पोस्टिंग सुनिश्चित करने के लिए ट्रांसफर पोर्टल पर अतिशेष प्रक्रिया को रोककर शहरी स्कूलों में तैनाती करवाई गई। यह स्थिति साफ इशारा करती है कि सिस्टम में प्रभावशाली हस्तक्षेप ने पारदर्शिता को कमजोर किया है।
80 से अधिक स्कूलों की जांच में खुली पोल
एक जांच में राज्य के 80 से ज्यादा स्कूलों का अध्ययन किया गया, जिनमें से 48 स्कूलों में आवश्यकता से अधिक शिक्षक पाए गए, जबकि 8 स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी मिली। केवल 4 स्कूलों में ही शिक्षक संख्या संतुलित पाई गई। उदाहरण के लिए, राजगढ़ के जीरापुर ब्लॉक के आगरिया स्कूल में दो में से एक शिक्षक का ट्रांसफर हो गया, और अब 38 बच्चों की जिम्मेदारी एकमात्र शिक्षक राधेश्याम दांगी के कंधों पर है।
सीएम राइज स्कूल भी नहीं बच पाया कुप्रबंधन से
अशोकनगर जिले के सीएम राइज स्कूल की हालत और भी चिंताजनक है। यहां 1000 छात्रों के लिए 62 शिक्षकों की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में केवल 25 शिक्षक कार्यरत हैं। इसके बावजूद 4 और शिक्षकों का ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे यह सवाल उठता है कि शिक्षा विभाग किस आधार पर निर्णय ले रहा है।
राजनीतिक प्रभाव और मनपसंद पोस्टिंग का बोलबाला
राजगढ़ नगर के दांगीपुरा स्कूल में मात्र 18 छात्रों के लिए 3 शिक्षक तैनात हैं और किसी का तबादला नहीं हुआ। यह स्कूल शहरी सीमा में आता है और जानकारी के अनुसार यहां राजनीतिक प्रभाव के चलते शिक्षकों ने मनचाही पोस्टिंग ले ली है। इस तरह की घटनाएं विभागीय व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती हैं।
शिक्षकों ने खुद जारी किए रिलीव लेटर
राजगढ़ जिले के लखोनी गांव के प्राथमिक स्कूल से तीनों शिक्षकों का तबादला कर दिया गया है, जिससे वहां के 45 छात्र अब बिना शिक्षक के हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि कुछ शिक्षकों ने अपनी खुद की ID से रिलीव लेटर बनाकर नई जगह जॉइन कर लिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि तबादला प्रक्रिया में कोई निगरानी या नियंत्रण नहीं है।
प्रमुख सचिव ने जताई नाराजगी
प्रमुख सचिव संजय गोयल ने तबादला प्रणाली में सामने आई अनियमितताओं पर नाराजगी जताई है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों से शिक्षकों को शहरी स्कूलों में स्थानांतरित करना गंभीर मामला है, और उन स्कूलों में तबादला करना जहां विद्यार्थी ही नहीं हैं, विभाग की बड़ी चूक है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में जिला शिक्षा अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।