अब नहीं थमेगा सफर, एमपी का ये हाईवे हुआ 18 मीटर चौड़ा, बाउंड्री वॉल से सुरक्षित हुआ मार्ग

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By Srashti BisenPublished On: May 27, 2025
MP News

मध्यप्रदेश में हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग 46 (NH-46) पर भोपाल से नागपुर के बीच अब यात्रा का अनुभव कहीं अधिक सुगम और सुरक्षित हो गया है।

एनएचएआई द्वारा विकसित इस हाईवे का एक विशेष हिस्सा रायसेन जिले के रातापानी टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता है, जहां 12.38 किलोमीटर लंबा अत्याधुनिक साउंडप्रूफ वन्यजीव कॉरिडोर तैयार किया गया है। इस कॉरिडोर के निर्माण से न सिर्फ वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है, बल्कि यातायात भी अधिक तेज और निर्बाध हो गया है।

वन्यजीवों की सुरक्षा को मिली प्राथमिकता

अब नहीं थमेगा सफर, एमपी का ये हाईवे हुआ 18 मीटर चौड़ा, बाउंड्री वॉल से सुरक्षित हुआ मार्ग

रातापानी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में वन्य जीवों की भारी उपस्थिति को देखते हुए इस कॉरिडोर को विशेष तकनीक और सामग्री से तैयार किया गया है। हाईवे के दोनों तरफ 3-3 मीटर ऊंची बाउंड्री वॉल बनाई गई हैं, जिससे जानवर सड़क पर नहीं आ पाते। साथ ही, कुल 7 अंडरपास (5 बड़े और 2 छोटे) बनाए गए हैं, जिनसे बाघ समेत अन्य वन्य प्राणी एक हिस्से से दूसरे हिस्से में निर्बाध रूप से आवाजाही कर सकते हैं।

साउंडप्रूफिंग और नॉइस कंट्रोल तकनीक

इस कॉरिडोर को पूरी तरह साउंडप्रूफ बनाया गया है। इसके लिए विशेष हरे रंग की पॉलीकार्बोनेट शीट्स और इंसुलेशन मैटेरियल का उपयोग किया गया है जो वाहनों की आवाज को अवशोषित कर लेते हैं। नॉइस बैरियर लगाए जाने से जंगल के शांत वातावरण पर वाहन ध्वनि का असर न्यूनतम हो गया है, जिससे वन्यजीवों को राहत मिली है।

यात्री अनुभव और सुरक्षा दोनों में सुधार

कॉरिडोर की सड़क की चौड़ाई 18 मीटर रखी गई है और पुराने घुमावदार मोड़ों को समाप्त कर हाईवे को सीधा बनाया गया है। इससे न सिर्फ ट्रैफिक की गति बढ़ी है बल्कि दुर्घटनाओं की संभावना भी कम हुई है। पहले जहां यह दूरी तय करने में लगभग आधा घंटा लगता था, अब वही सफर मात्र 10 मिनट में पूरा हो रहा है। इससे भोपाल से नागपुर की दूरी घटकर मात्र 4 घंटे में तय की जा सकती है।

417 करोड़ की लागत से तैयार हुआ हाईटेक कॉरिडोर

एनएचएआई के अनुसार इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 417 करोड़ रुपए की लागत आई है। तीन फ्लाईओवर का निर्माण भी इस परियोजना का हिस्सा रहा है, जिससे गाड़ियों की निर्बाध गति बनी रहती है। यह कॉरिडोर भारत के उन गिने-चुने हाईवे प्रोजेक्ट्स में से एक है, जहां वन्यजीवों और यातायात दोनों के बीच संतुलन बिठाने का अनूठा प्रयास किया गया है।