अनुकंपा नियुक्तियों से जुड़े नौ मामलों में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसे कर्मचारी सामान्य सेवा नियमों से मुक्त नहीं होंगे। अनुकंपा के तहत नियुक्त कर्मचारियों को वर्कचार्ज स्थापना में शामिल होने से पहले तीन वर्ष तक दैनिक वेतनभोगी के रूप में समेकित वेतन पर कार्य करना आवश्यक होगा।
इस फैसले के अनुसार, केवल अनुकंपा आधार पर नियुक्त होने से कर्मचारियों को सीधे स्थायी सेवा का लाभ नहीं मिलेगा। उन्हें पहले निर्धारित अवधि तक दैनिक वेतनभोगी के रूप में अनुभव हासिल करना होगा, ताकि वे कार्यशैली और जिम्मेदारियों के लिए तैयार हो सकें।
जल संसाधन विभाग में आवेदन की प्रक्रिया
यह व्यवस्था 10 मई 1984 के नोटिफिकेशन में निर्धारित की गई है। मामला जल संसाधन विभाग से संबंधित है, जहां दैवेभो कर्मियों के आश्रितों ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। विभाग ने सीधे भर्ती देने के बजाय तीन वर्षों तक उन्हें दैवेभो के रूप में कार्य करने का निर्देश दिया, जिसे चुनौती देते हुए याचिकाएं दाखिल की गईं।
हाईकोर्ट का आदेश, OBC सर्जन का 1 पद रिक्त रखें
जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में भर्ती से संबंधित एक मामले में आदेश दिया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सर्जन का एक पद रिक्त रखा जाए। जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की सिंगल बेंच ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के चेयरमैन, आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, रजिस्ट्रार मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल और अन्य से जवाब तलब किया है।
याची डॉ. गगन सोनी ने अदालत में दलील दी कि 2024 में सरकार ने सर्जन के पद पर भर्ती निकाली थी, जिसमें कुल 64 पद OBC के लिए आरक्षित थे। लेकिन 21 अगस्त 2025 को चयन सूची से उनका नाम हटा दिया गया।