MP Employees Allowance : कर्मचारी चिकित्सकों के हित में मध्य प्रदेश सरकार एक बड़ा निर्णय लेने जा रही है। डॉक्टरों की कमी को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय लिया जा रहा है। दरअसल क्लिनिकल प्रैक्टिस नहीं करने वाले डॉक्टर को नॉन प्रैक्टिस अलाउंस सातवें वेतनमान के हिसाब से दिया जाएगा।
मेडिकल कॉलेज से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में डॉक्टर की कमी बनी हुई है। जिसके बाद अब सरकार डॉक्टर के हित में निर्णय ले रही है। दूसरी बात यह कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरह दूसरे विभाग में डॉक्टर को भी नॉन प्रैक्टिस अलाउंस का लाभ मिलेगा।

नॉन प्रैक्टिस अलाउंस का लाभ
इससे श्रम विभाग के अंतर्गत आने वाले चिकित्स्कों और गृह विभाग के अधीन मेडिको लीगल विभाग के डॉक्टर को भी इसमें शामिल किया गया है। जल्दी इसे लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली गई है।
चिकित्सा महासंघ के पदाधिकारी के मुताबिक नॉन प्रेक्टिस एडवांस छठे वेतनमान के हिसाब से दिया जा रहा है, जो मूल वेतन का 20% होता है। इसमें नियम अनुसार महंगाई भत्ता नहीं जोड़ा जा रहा है ।वहीं चिकित्सक महासंघ कई वर्षों से मांग कर रहा था कि मेडिकल कॉलेज में 3000 चिकित्सा शिक्षक कार्यरत है। इनमें जो प्रेक्टिस नहीं करते हैं, उन्हें एनपीए दिया जाए।
यह होंगे लाभान्वित
अब सरकार के इस निर्णय से सीएमएचओ, सिविल सर्जन और अन्य प्रशासनिक अधिकारी जो प्रेक्टिस नहीं करते हैं, उन्हें भी नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस का लाभ मिलने से उनके वेतन में बढ़ोतरी होगी।चिकित्सक महासंघ ने इसी वर्ष 21 और 22 फरवरी को इस मामले को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन किया था। जिसमें प्रमुख मांग एनपीए थी।
सरकार ने सभी डॉक्टरों को एनपीए देने सहित अन्य वादे पूरा करने का आश्वासन दिया था। जिसके बाद आंदोलन को स्थगित कर दिया था। हालांकि डॉक्टरों की कुछ मांगों पर प्रस्ताव भी दिए गए थे। जिसके लिए प्रमुख सचिव द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया था। अब नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस के तहत प्रेक्टिस नहीं करने वाले डॉक्टर्स के वेतन में बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया है।