मध्य प्रदेश में अब भूमि अधिग्रहण के बदले किसानों को मुआवजा नहीं मिलेगा। सरकार की नई नीति के तहत उन्हें केवल 50 प्रतिशत विकसित भूमि दी जाएगी। इस फैसले का कांग्रेस ने सदन में तीव्र विरोध किया। चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक इतने भावुक हो गए कि वे अपने आंसू नहीं रोक सके और सदन में फूट-फूटकर रो पड़े।
विधानसभा में छलका विधायक का दर्द
सोमवार को विधानसभा में टीएंडसीपी विधेयक पारित ही चूका है। उज्जैन मेला क्षेत्र में सिंहस्थ के दौरान 4000 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण पर कांग्रेस विधायक महेश परमार रो पड़े। उनका कहना है की यह भूमि साधुओं और संतों के लिए आरक्षित है इसलिए यहाँ स्थायी निर्माण करना सही है। ऐसे में जमीन को इस विधेयक के तहत अधिग्रहित करना कैसे संभव होगा।

महेश परमार की भावुक अपील – मेरी पीड़ा को समझिए
कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा कि यह मामला सिंहस्थ से जुड़ा नहीं है, फिर भी उज्जैन में किसानों की जमीन लैंड पूलिंग के माध्यम से अधिग्रहित की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक विशेष रूप से उज्जैन के किसानों की जमीन कब्जाने के इरादे से लाया गया है। अगर विकास कार्यों के लिए किसानों की 50 प्रतिशत भूमि ली जा रही है, तो क्या शेष 50 प्रतिशत जमीन वे अपनी मर्जी से बेच सकेंगे? उन्होंने सवाल उठाया कि यदि यह भूमि अदाणी, अंबानी या रामदेव को बेची जाएगी, तो सिंहस्थ महापर्व का आयोजन कहां होगा? 1,800 किसानों और 10,000 परिवारों की उपेक्षा की जा रही है। अगर समय रहते उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आत्महत्या करने को मजबूर हो सकते हैं। भावुक होते हुए उन्होंने कहा, “मेरी पीड़ा को समझिए, ये आंसू उन किसानों के दर्द को दर्शाते हैं।”
नगरीय विकास मंत्री की सफाई
नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि इस योजना से किसानों को लाभ मिलेगा और उनकी जमीनों की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। योजना के तहत, किसानों की जमीन को विकसित कर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑथॉरिटी को सौंपा जाएगा, जिससे बड़े औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा सकेंगे। इस पहल के अंतर्गत 40 हेक्टेयर के व्यापक क्षेत्र का विकास किया जाएगा और 500 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं पर काम होगा।