शहर में मतदाता सत्यापन अभियान ने रफ्तार पकड़ ली है। बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) घर-घर पहुंचकर मतदाताओं का पुनः पंजीकरण और जानकारी का सत्यापन कर रहे हैं। इस प्रक्रिया की खासियत यह है कि जिन मतदाताओं के नाम पहले से सूची में दर्ज हैं, उन्हें भी अपनी जानकारी की पुष्टि कराना आवश्यक होगा। इंदौर की करीब 45 लाख आबादी में से मतदाता सूची में दर्ज 28 लाख 67 हजार 294 मतदाताओं का सत्यापन किया जाना है।
बीएलए करेंगे बीएलओ की मदद
मतदाता सत्यापन अभियान के तहत बीएलओ घर-घर जाकर जानकारी एकत्रित कर रहे हैं। इस कार्य में सहयोग के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने क्षेत्रों में बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) नियुक्त करने का निर्णय लिया है। ये बीएलए मतदाता सूची के पुनरीक्षण में सहायता करेंगे और ऐसे मजदूरों के घरों पर सुबह तड़के पहुंचकर जानकारी जुटाएंगे, जो दिनभर काम पर रहने के कारण दिन में घर पर नहीं मिल पाते।
आधार से जोड़ने के लिए नहीं होगा कोई दबाव
निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, इस बार मतदाता सूची को आधार कार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया पूरी तरह स्वैच्छिक रहेगी। यानी किसी मतदाता को आधार लिंक कराने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा; यह पूरी तरह उसकी इच्छा पर निर्भर करेगा।
थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या पर उठे सवाल
बैठक में बताया गया कि इंदौर में कुल 13,838 दिव्यांग मतदाताओं का भी सत्यापन किया जाएगा, जिसके लिए सूची के अनुसार उनकी पहचान संबंधी जानकारी एकत्रित की जाएगी। साथ ही यह मुद्दा भी उठाया गया कि शहर में थर्ड जेंडर (किन्नर समुदाय) की संख्या काफी अधिक है, फिर भी मतदाता सूची में केवल 106 सदस्य ही दर्ज हैं। कई बार समुदाय के लोग आगे आए हैं, लेकिन अब तक अधिकांश के नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हो पाए हैं।









