पिछले कई दिनों से सराफा कारोबारियों और चौपाटी संचालकों के बीच जारी विवाद का समाधान आज सुबह 11:30 बजे आयोजित बैठक में हो गया। तय शर्तों पर दोनों पक्षों की सहमति बनने के बाद सराफा चौपाटी को जारी रखने का निर्णय लिया गया। मंत्री और महापौर के साथ अब विधायक ने भी इस समझौते पर सहमति जताई है।
चौपाटी में सिर्फ पारंपरिक व्यंजन ही लगेंगे
आज सुबह 11:30 बजे महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने सराफा व्यापारियों और चौपाटी संचालकों को एआईसीटीएसएल में बैठक के लिए बुलाया। इसमें दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी कि चौपाटी में चाइनीज, मोमोज या अन्य प्रकार की दुकानें और ठेले नहीं लगेंगे। यहां केवल पारंपरिक व्यंजन जैसे मालपुए, रबड़ी, आइसक्रीम और चाट की दुकानें ही रहेंगी, वह भी रात 9 बजे के बाद, जब सराफा बाजार की दुकानें बंद हो जाएंगी। हालांकि सराफा कारोबारी शपथ-पत्र के साथ चौपाटी को पूरी तरह हटाने पर अड़े रहे, लेकिन राजनीतिक स्तर पर उन्हें अपेक्षित समर्थन न मिलने के कारण दोनों पक्षों की एक समिति बन गई। महापौर ने इस पर सहमति जताई है और आज की बैठक में चौपाटी को बनाए रखने का निर्णय तय कर लिया गया है।
व्यापारी नहीं चाहते निगम से टकराव
सराफा व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकुम सोनी ने साफ कहा कि जिन व्यापारियों के शपथ-पत्र हमारे पास आए हैं, उनमें स्पष्ट रूप से सराफा चौपाटी को पूरी तरह हटाने की मांग की गई है। आज की बैठक में भी हम यही पक्ष रखेंगे और इसके लिए कुछ वरिष्ठ व्यापारियों को भी साथ ले जाएंगे, ताकि वे निगम को वास्तविक स्थिति से अवगत करा सकें। सराफा की पहचान देशभर में सोना-चांदी के कारोबार से रही है। चौपाटी तो बाद में हमारी सहमति से शुरू की गई थी, लेकिन मुस्लिम युवकों की बढ़ती भीड़, छेड़छाड़ की घटनाओं और अन्य कारणों के चलते अब इसे हटाने की बात करना मजबूरी बन गई है।