बदलते समय में भी प्रासंगिक हैं प्रेमचन्द की कहानियां- प्रभु त्रिवेदी

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By Bhawna ChoubeyPublished On: July 10, 2023

वामा साहित्य मंच ने अपनी मासिक गोष्ठी में मुंशी प्रेमचंद और उनके साहित्य को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।यथार्थ की कड़वी सच्चाई से पीड़ित लेखक जब जो हो रहा है,उसका चित्रण कर लेखन के द्वारा पाठक को आदर्शोन्मुखी साहित्य की रचना कर जो होना चाहिए उस और ले जाता है…तो वह साहित्य अमर हो जाता है।

बदलते समय में भी प्रासंगिक हैं प्रेमचन्द की कहानियां- प्रभु त्रिवेदी

ऐसे ही अमर साहित्य की रचना करने वाले मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं और उपन्यासों के माध्यम से उनकी जयंती को वामा साहित्य मंच ने अपनी मासिक गोष्ठी के माध्यम से मनाया।यह जानकारी मुख्य संयोजक मधु टाक ने दी।साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में उनके साहित्य,आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद,उद्देश्य आदि बिंदुओं पर चर्चा की।

बदलते समय में भी प्रासंगिक हैं प्रेमचन्द की कहानियां- प्रभु त्रिवेदी

स्वागत उद्बोधन वामा अध्यक्ष इन्दु पाराशर ने दिया।सरस्वती वंदना सुषमा मोघे ने प्रस्तुत की।उपरोक्त विषय पर भावना दामले,अनुपमा गुप्ता,आरती दुबे,अवंती श्रीवास्तव ,माधुरी निगम,अनिता जोशी,निधि जैन,आशा मानधन्या,हंसा मेहता ,आशा मुंशी ,शांता पारेख,करुणा प्रजापति ,प्रतिभा जैन ,डॉ.ज्योति सिंह,वाणी जोशी ने अपनी प्रस्तुतियां दी।मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार प्रभु त्रिवेदी जी ने अपने अतिथि उद्बोधन में सभा को संबोधित करते हुए कहा…भारतीय साहित्य विधा में दोहा एक ऐसी विधा है, जो गजल के शेर से पंजा लड़ा सकती है।अतिथि स्वागत संस्थापक अध्यक्ष पद्मा राजेंद्र और सचिव शोभा प्रजापत ने किया।

बदलते समय में भी प्रासंगिक हैं प्रेमचन्द की कहानियां- प्रभु त्रिवेदी

अतिथियों को स्मृति चिन्ह आशीष कौर होरा,ज्योति जैन ने प्रदान किए।आभार प्रीति रांका ने किया।संचालन निरुपमा त्रिवेदी ने किया। इस आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार शारदा मंडलोई, प्रेम कुमारी नाहटा,नीलम तोलानी ,अंजना श्रीवास्तव, पुष्पा दसौंधी आदि उपस्थित थे।