इंदौर में जल्द ही दूसरा सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू होने जा रहा है। यह संस्थान श्रमिक क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण सौगात साबित होगा। राज्य बीमा कर्मचारी निगम (ईएसआई) को इसके संचालन के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन की मंजूरी प्राप्त हो गई है। उम्मीद है कि कॉलेज में अगले शैक्षणिक सत्र से प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
पिछले दस वर्षों से इस परिसर में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के प्रयास जारी थे, लेकिन भूमि से जुड़े कड़े नियमों के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही थी। नियमों में संशोधन होने के बाद ईएसआई इस परियोजना के लिए पात्र हो गया। लगभग एक वर्ष पूर्व 300 करोड़ रुपये की लागत से 300 बिस्तरों वाले अस्पताल का निर्माण पूरा किया गया था, जिसका वर्चुअल उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। उसी अवसर पर आयुष्मान योजना में 70 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को शामिल करने की घोषणा भी की गई थी।
पहले चरण में 50 छात्रों को मिलेगा एमबीबीएस में प्रवेश
यहां प्रतिदिन सैकड़ों बीमाधारक मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं, जिससे मेडिकल विद्यार्थियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त अवसर मिलेंगे। आगामी शैक्षणिक सत्र में 50 छात्रों को एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाएगा। ईएसआई ने प्रारंभिक चरण में 100 सीटों के लिए आवेदन किया था, और भविष्य में सीटों की संख्या बढ़ाए जाने की संभावना जताई जा रही है।
60 एकड़ में फैला परिसर
नंदानगर स्थित ईएसआई अस्पताल की स्थापना लगभग 40 वर्ष पूर्व की गई थी, जिसे पहले बीमा अस्पताल के नाम से जाना जाता था। समय के साथ इसकी पुरानी इमारत जर्जर हो गई थी, जिसके बाद उसे ध्वस्त कर नया आधुनिक अस्पताल निर्मित किया गया। अस्पताल के आरंभ होते ही मेडिकल कॉलेज की इमारत का निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया था। वर्तमान में अस्पताल में 20 से अधिक आपातकालीन बेड, दो ओपीडी और एक पैथोलॉजी लैब की सुविधा उपलब्ध है। लगभग 60 एकड़ क्षेत्र में फैले इस परिसर में फिलहाल एमबीबीएस पाठ्यक्रम की पढ़ाई प्रारंभ की जाएगी। साथ ही, छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग हॉस्टल, मेस और लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं।