अपनी सशक्त सहयोगों और अकादमिक उत्कृष्टता के लिए विख्यात भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर (आईआईएम इंदौर) ने 8 अक्टूबर 2025 को अपने दूसरे इंटरनेशनल पार्टनर्स डे – ‘सेतु: ब्रिजिंग एकेडमिक एक्सीलेंस’ का सफल आयोजन किया। इस अवसर पर 13 देशों: ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, नॉर्वे, रोमानिया, रूस, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के 17 प्रमुख भागीदार संस्थानों के विशिष्ट शिक्षाविदों और विचारकों ने भाग लिया। यह आयोजन वैश्विक शिक्षा के भविष्य, नवाचार और तकनीक की भूमिका पर विचार-विमर्श करने तथा संस्थागत सहयोगों को और गहरा करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया, जिसने वैश्विक साझेदारी की भावना को नई दिशा प्रदान की।
अपने स्वागत भाषण में आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने संस्थान के निरंतर विकास और इसकी वैश्विक भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आईआईएम इंदौर विश्व की “विकट समस्याओं” जैसे आय असमानता, ग्रामीण एवं शहरी चुनौतियाँ, और पर्यावरणीय मुद्दे को समाधान-उन्मुख पहलों और वैश्विक सहयोगों के माध्यम से संबोधित कर रहा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आईआईएम इंदौर की साझेदारियाँ केवल शैक्षणिक विनिमय नहीं हैं, बल्कि यह साझा मूल्यों और सामाजिक प्रगति के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता पर आधारित स्थायी संबंध हैं। प्रो. राय ने कहा कि संस्थान का लक्ष्य ऐसे प्रबंधकों और नेतृत्वकर्ताओं का निर्माण करना है जो न केवल अपने क्षेत्र में दक्ष हों, बल्कि संवेदनशील और जिम्मेदार परिवर्तनकारी भी हों, जो समाज में सार्थक बदलाव ला सकें।
कार्यक्रम के दौरान “AI for Sustainability” विषय पर आयोजित प्रेरक पैनल चर्चा भी हुई, जिसमें विश्व के अग्रणी शिक्षाविदों ने अपने विचार साझा किए। पैनल में शामिल थे: डॉ. उतियो रायचौधरी, वाइस प्रोवोस्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ डेनवर (संयुक्त राज्य अमेरिका); प्रो. एंड्रिया सियानेसी, डीन, एमआईपी पॉलिटेक्निको दी मिलानो ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस (इटली); डॉ. जूलिया क्रिस्टीन बालोगन, डीन, यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल (यूनाइटेड किंगडम); और डॉ. साइमन फ्रेज़र, इंटरनेशनल एंगेजमेंट लीड एवं प्रिंसिपल लेक्चरर, एबर्डीन बिजनेस स्कूल, रॉबर्ट गॉर्डन यूनिवर्सिटी (यूनाइटेड किंगडम)। सत्र का संचालन प्रो. सायंतन बनर्जी, पीजीपी चेयर, आईआईएम इंदौर ने किया। इस चर्चा में यह विचार किया गया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) का उपयोग कैसे स्थायित्व, समावेशिता और नैतिक नवाचार को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। पैनलिस्टों ने विश्वविद्यालयों की भूमिका पर बल दिया कि वे जिम्मेदार तकनीकी विकास के केंद्र बनें और एआई को केवल दक्षता बढ़ाने का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक एवं पर्यावरणीय समाधान का उपकरण बनाएं। यह संवाद शिक्षा की उस भूमिका को रेखांकित करता है जो तकनीक और मानवता को एक साथ आगे बढ़ाने में सहायक है।
कार्यक्रम के दौरान आईआईएम इंदौर की विशिष्ट पहलों और उसके बहुआयामी योगदान को भी उजागर किया। प्रो. श्रुति तिवारी (डीन – रिसर्च) ने आईआईएम इंदौर के वेस्ट मैनेजमेंट और WASH (Water, Sanitation and Hygiene) पर आधारित सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस – अन्वेषण की गतिविधियों पर प्रकाश डाला और बताया कि यह केंद्र बहुविषयक अनुसंधान को सामाजिक प्रभाव में बदल रहा है तथा नीति-निर्माताओं और शहरी प्रशासकों को सतत अपशिष्ट प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित कर रहा है। प्रो. श्रीनिवास गुन्टा ने रूरल एंगेजमेंट प्रोग्राम के अनुभव साझा किए, जो छात्रों को ग्रामीण भारत में सात दिन की फील्ड वर्क के माध्यम से स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर विकासोन्मुख समाधान तैयार करने का अवसर देता है और सहानुभूति-आधारित नेतृत्व को प्रोत्साहित करता है। प्रो. सुरभि दयाल ने “मिथिला आर्ट फॉर मैनेजर्स” पर प्रस्तुति दी। यह एमबीए छात्रों के लिए एक एलेक्टिव कोर्स है, जिसमें प्राचीन कला परंपरा दृढ़ता, रचनात्मकता और सांस्कृतिक समझ के माध्यम से समग्र नेतृत्व का विकास किया जाता है। प्रो. कमल शर्मा ने हिमालयन आउटबाउंड प्रोग्राम की जानकारी दी, जो हिमालय की चुनौतीपूर्ण घाटियों में अनुभवात्मक अधिगम और नेतृत्व विकास को एकीकृत करता है तथा आत्म-जागरूकता, टीम भावना और रणनीतिक सोच को बढ़ावा देता है।
सभी अतिथियों ने वृक्षारोपण समारोह में भी भाग लिया, जो विकास, नवीनीकरण और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों की स्थायी भावना का प्रतीक था।
प्रो. हिमांशु राय के नेतृत्व में स्पिरिचुअल गार्डन में एक योग सत्र भी आयोजित किया गया। इस सत्र में सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया और सजगता, संतुलन तथा सामंजस्य पर आधारित ध्यान अभ्यास किया। ये वही सिद्धांत हैं जो आईआईएम इंदौर की वैश्विक दृष्टि और साझेदारी के दर्शन का आधार हैं। इस सत्र ने आत्मचिंतन और एकता की अनुभूति प्रदान की।
प्रतिनिधियों को ऐतिहासिक नगर महेश्वर की एक सांस्कृतिक यात्रा पर भी ले जाया गया। अपने प्राचीन मंदिरों, उत्कृष्ट हस्तनिर्मित साड़ियों और राजसी स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध महेश्वर ने अतिथियों को क्षेत्र की समृद्ध कलात्मक और आध्यात्मिक विरासत से परिचित कराया। यह अनुभव रचनात्मकता, दृढ़ता और सामुदायिक मूल्यों की प्रेरणा देने वाला रहा – वे मूल्य जो आईआईएम इंदौर की मूल भावना से गहराई से जुड़े हैं।
‘सेतु: ब्रिजिंग एकेडमिक एक्सीलेंस 2025’ के माध्यम से आईआईएम इंदौर ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि वह सीमाओं, विषयों और संस्कृतियों से परे जाकर स्थायी और अर्थपूर्ण वैश्विक साझेदारियाँ विकसित करने वाला अग्रणी प्रबंधन संस्थान है। यह आयोजन केवल शैक्षणिक विचार-विमर्श का मंच नहीं था, बल्कि साझा उद्देश्य, वैश्विक एकता और सतत व समावेशी प्रगति के सामूहिक संकल्प का उत्सव भी था। प्रतिनिधियों ने भारतीय आतिथ्य की गर्मजोशी और परिसर की सांस्कृतिक जीवंतता का अनुभव किया और विदा लेते समय इस प्रेरणा के साथ लौटे कि वे ज्ञान, नवाचार और परस्पर विकास के उन सेतुओं को और सशक्त बनाएं जो विश्वभर के संस्थानों को जोड़ते हैं।