आईआईएम इंदौर में आयोजित हुआ हिंदी दिवस, कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने दिया मातृभाषा में गर्व और संस्कृति का संदेश

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By Abhishek SinghPublished On: September 7, 2025

भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर (आईआईएम इंदौर) में 6 सितम्बर 2025 को हिंदी पखवाड़े के साथ ही हिंदी दिवस का आयोजन अत्यंत गरिमामय वातावरण में हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने किया। कार्यक्रम की शोभा बढाते हुए हिंदी जगत से जुड़े विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति रही, जिन्होंने हिंदी भाषा की समृद्ध परंपरा, उसके समकालीन स्वरूप तथा भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार प्रकट किए।


प्रो. हिमांशु राय ने कहा कि किसी देश का निर्माण जनसंख्या और जनांकिकी से होता है, लेकिन एक राष्ट्र का निर्माण और उसकी असली पहचान उसी संस्कृति देती है और संस्कृति के केंद्र में भाषा है। उन्होंने शास्त्रों का उल्लेख करते हुए बताया कि भाषा को माता का दर्जा दिया गया है। जिस प्रकार माता पोषण और निर्माण करती है, उसी प्रकार भाषा सभ्यता को संजोती और जीवित रखती है। उन्होंने कहा कि हिंदी को संकोच के साथ नहीं, बल्कि गर्व के साथ अपनाना चाहिए क्योंकि मातृभाषा में शिक्षा ज्ञानार्जन को तीव्र बनाती है। प्रो. राय ने सभी से भारतीय भाषाओं के संरक्षण का संकल्प लेने का आह्वान किया।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण “हिंदी पत्रकारिता : चुनौतियां और अवसर” विषय पर आयोजित पैनल चर्चा रही। इसमें भारत सरकार के एडीशनल सेक्रेटरी श्री नीतीश्वर कुमार, टीवी टुडे/इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़े साहित्य तक और साहित्य आजतक के संपादक श्री जयप्रकाश पांडेय तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष प्रो. वर्तिका नंदा सम्मिलित हुए। पैनल चर्चा का संचालन संस्थान प्रो. राय ने किया।

जयप्रकाश पांडेय ने कहा कि आज हिंदी पत्रकारिता की सबसे बड़ी शक्ति सोशल मीडिया है, जिसने हर वर्ग को अपनी बात कहने का अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदी, अन्य भारतीय भाषाओं के सहयोग से अनुवाद और डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से अधिक व्यापक पाठक वर्ग तक पहुँच रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने हिंदी को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए हैं, लेकिन असली कसौटी यह है कि भाषा का उपयोग कितनी व्यापकता से हो रहा है। सरलीकरण, संवाद की स्पष्टता के लिए आवश्यक है, परंतु भाषा की समृद्धि बनाए रखते हुए, उन्होंने कहा।

नीतीश्वर कुमार ने हिंदी की वैज्ञानिक नींव और सांस्कृतिक गहराई पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिंदी की वर्णमाला जीवन और संस्कृति से गहराई से जुड़ी है और संस्कृत का ज्ञान होने पर अन्य भाषाएँ कठिन नहीं लगतीं। उन्होंने साहित्य और सिनेमा के माध्यम से हिंदी की भूमिका को राष्ट्रीय पहचान गढ़ने वाला बताया और कहा कि हिंदी ने अनेक सभ्यताओं के प्रभावों को आत्मसात कर अपनी समृद्धि बढ़ाई है।

प्रो. वर्तिका नंदा ने कहा कि हिंदी की ताकत भारत के निवासियों में समायी हुई है। कभी अन्य विदेशी भाषाओं के सामने इसे गौण समझा गया, पर समय के साथ हिंदी ने स्वयं को सिद्ध किया और नए अवसर गढ़े। उन्होंने कहा कि सरलीकरण हमेशा ज़रूरी नहीं, समृद्धि अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने भाषाओं के अंधाधुंध मिश्रण पर चिंता जताई और कहा कि हिंदी की असली शक्ति उसकी गरिमा और सांस्कृतिक सम्मान को सुरक्षित रखने में है।

हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी इस अवसर पर पुरस्कृत किया गया। इन प्रतियोगिताओं ने विद्यार्थियों और कर्मचारियों को हिंदी लेखन, वाद-विवाद और कविता-पाठ जैसे क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर दिया। राजभाषा विभाग ने हिंदी के प्रयोग और प्रगति की समीक्षा भी प्रस्तुत की।

कार्यक्रम का वातावरण हिंदी भाषा के गौरव और उसकी जीवंतता से ओत-प्रोत रहा। पैनल चर्चा ने उपस्थित जनसमूह को हिंदी पत्रकारिता की चुनौतियों और संभावनाओं पर गहन विचार करने का अवसर प्रदान किया।