ठिठकने को मजबूर कर रहे इंदौर की सड़कों पर खिले गुलमोहर के फूल

Author Picture
By Ravi GoswamiPublished On: April 24, 2024

सालों पहले हरियाली से भरे इंदौर में गर्मियाँ परेशान नहीं करती थी। दूर गाँव से हम लोग छुट्टिया मनाने इंदौर में रह रहे अपने रिश्तेदारों के यहाँ आते थे। घरों में छत के पंखे या काले वाले टेबल फैन की हवा आज के एसी से भी अधिक आनंद देती थी. दिनभर मोहल्ले की सड़कों पर धमा चौकड़ी मचाई जाती थी।कांक्रीट के बहुमंजिला जंगल उगाने के लिए बेरहमी से काटे गए वृक्षों के कारण अब गर्मीयों की दोपहर में आग उगलते सूरज के प्रकोप, चिलचिलाती धूप और गर्मी से आकुल व्याकुल लोग बाहर कम ही निकलते हैं। शहर की सड़कें तो वीरान नजर आती हैं लेकिन कई जगहों पर सड़क किनारे लगे गुलमोहर के वृक्षों पर बहार दिखाई पड़ती है।

ठिठकने को मजबूर कर रहे इंदौर की सड़कों पर खिले गुलमोहर के फूल

घना फैलाव ली हुई लंबी शाखाओं वाले गुलमोहर के वृक्ष पर लदे फूल जलती हुई सिगड़ी में सुलगते गहरे नारंगी लाल रंग के अंगारों सदृश्य नजर आते है। ये चमकीले, मनोहारी फूल यहां से गुजरने वाले लोगों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इनकी अलौकिक खूबसूरती के रौब से थर्राये राहगीर ठिठककर इन फूलों को निहारने लगते हैं। चटकीले लाल नारंगी रंग के फूलों को देखकर यूं प्रतीत होता है मानो सूरज से इन्हे रंग मिला है और चाँद से शीतलता। हल्के हरे रंगों की पत्तियों के बीच में खिले केसरी रंग के ये फूल मानो आँखों को सुकून देने के लिए ही बने हैं।

ठिठकने को मजबूर कर रहे इंदौर की सड़कों पर खिले गुलमोहर के फूल

लाल नारंगी रंग के फूलों की यह चादर देखने वालों की आखों में शीतल ठंडक का अहसास कराती है। इसकी स्वर्गीक सुंदरता के सम्मोहन में जकड़े हुए कई कवियों और साहित्यकारों ने गुलमोहर के गुण व सुंदरता का बखान अपने लेखन में किया है। ‘गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता, मौसम ए गुल को भी हंसाना हमारा काम होता’ फिल्म ‘देवता’ के लिए गुलजार द्वारा लिखा अपने दौर का यह बेहद खूबसूरत और प्रसिद्ध गाना आज भी “गुलमोहर” शब्द आँखों के सामने आते ही होंठों को गुनगुनाने को मजबूर कर देता है।

इसको फ्लेमबॉयेन्ट या फ्लेम ट्री के नाम से भी जाना जाता है। प्रकृति ने गुलमोहर का निर्माण बहुत ही सुव्यवस्थित ढंग से किया है, इसके हरे रंग की फर्न जैसी झिलमिलाती पत्तियों के बीच बड़े-बड़े गुच्छों में खिले फूल कुछ अनूठे तरीक़े से शाखाओं पर सजते है जिसके चलते इसे विश्व के सुंदरतम वृक्षों की सूची में स्थान मिला है। पूरी तरह से फूलों से लदा गुलमोहर स्वर्ग के किसी वृक्ष से कम मोहक नहीं लगता है, इसलिए इसे स्वर्ग का फूल भी कहते हैं। संस्कृत में इसे राज अभरण यानि राजसी आभूषणों से सजा हुआ वृक्ष कहा जाता है। गुलमोहर के फूलों से श्रीकृष्ण भगवान के मुकुट को सजाया जाता इसलिए इसे कृष्ण-चूड़ भी कहा जाता है।

गुलमोहर का फूल आकार में बड़ा होता है यह फूल लगभग 13 सेमी तक का होता है। इसमें पाँच पंखुड़ियाँ होती हैं। चार पंखुड़ियाँ तो आकार और रंग में समान होती हैं पर पाँचवी थोड़ी लंबी होती है और उस पर पीले सफ़ेद धब्बे भी होते हैं। सुंदरता के साथ साथ गुलमोहर औषधीय गुणों से भी भरा होता है। आयुर्वेद में गुलमोहर के फूल को काफी असरदार औषधि माना जाता है और इसके पेड़ की छाल, पत्तियां और फल को भी औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। खासतौर से इसके फूलों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीमाइरियल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सिडेंट, कार्डियो-प्रोटेक्टिव, गैस्ट्रो-प्रोटेक्टिव और घाव भरने के औषधीय गुण पाए जाते हैं। गुलमोहर की पत्तियों में अतिसार-रोधी, हेपेटोप्रोटेक्शन, फ्लेवोनोइड्स और एंटी डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं। गुलमोहर के तने की छाल में खून को बहने से रोकने के गुण, मूत्र और सूजन से जुड़ी समस्याओं को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं।

तपती गर्मी में मुरझाने के बजाय और भी निखरता गुलमोहर हमें विपरीत परिस्थितीयों का मुस्कुराकर मुकाबला करने का संदेश देता है।