हेल्थ कॉर्पोरेशन ने किया केंद्र सरकार के आदेश का उल्लंघन, प्रतिबन्ध के बाद भी खरीदा करोड़ों का चाइना माल

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By Abhishek SinghPublished On: September 7, 2025

मध्य प्रदेश में मेडिकल उपकरण, दवाइयों और लैब टेस्ट से जुड़े सप्लायरों पर आयकर विभाग की कार्रवाई लगातार जारी है। जांच में करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ है, जिसमें बोगस बिल और जीएसटी चोरी जैसे मामले सामने आए हैं। अब यह जानकारी भी सामने आई है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से सप्लायर्स से करोड़ों रुपये का प्रतिबंधित चाइना माल खरीदा गया। जबकि भारत सरकार के निर्देशों के बाद प्रदेश के वित्त विभाग ने चीनी सामान की खरीद पर रोक लगा रखी थी। नियम के अनुसार, भारत की सीमा से लगे देशों से 200 करोड़ रुपये से कम की खरीदी सीधे नहीं की जा सकती और इसके लिए वित्त विभाग की अनुमति जरूरी होती है। लेकिन चहेते सप्लायरों को लाभ पहुंचाने के लिए इन नियमों की खुलकर अनदेखी की गई।


आयकर विभाग कर रही जांच

मध्य प्रदेश में मेडिकल उपकरण, दवा सप्लायरों और लैब टेस्टिंग सेवाएं देने वाली एजेंसियों पर आयकर विभाग की कार्रवाई जारी है। जांच में सामने आया है कि साइंस हाउस से जुड़े जितेंद्र तिवारी ने जीएसटी लागू न होने के बावजूद 18 प्रतिशत जीएसटी वसूलकर भुगतान लिया। यही नहीं, लैब एनएबीएल से मान्यता प्राप्त न होने के बावजूद तय दर से अधिक शुल्क लेकर करोड़ों रुपये की कमाई की गई। विभाग की कार्रवाई की जद में साइंस हाउस के साथ कंथाली और डीसेंट मेडिकल सहित कई अन्य सप्लायर भी आ गए हैं। शुरुआती जांच में फर्जी बिलिंग और टैक्स चोरी जैसी गंभीर गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है।

वित्त विभाग ने 2020 में ही लगाई थी रोक

भारत सरकार ने 19 नवंबर 2020 को लैंड बॉर्डर शेयरिंग वाले देशों से खरीदी को लेकर सभी राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी किए थे। इनमें स्पष्ट किया गया था कि भारत की जमीनी सीमा से लगे देशों से सीधे सामान की खरीद नहीं की जाएगी। इसी आधार पर मध्य प्रदेश के वित्त विभाग ने भी सभी विभागों को आदेश जारी कर सरकारी खरीदी प्रक्रिया में इन नियमों का पालन सुनिश्चित करने को कहा था। इसके बावजूद मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने नियमों की अनदेखी करते हुए सप्लायरों से चीन निर्मित माल की खरीदारी कर डाली।

एमडी मयंक अग्रवाल का बयान

मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी मयंक अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि कॉर्पोरेशन में खरीदी की प्रक्रिया मध्य प्रदेश सरकार के भंडार क्रय नियमों के तहत की जाती है। उन्होंने कहा कि यदि लैंड बॉर्डर शेयरिंग वाले देशों की कोई कंपनी इसमें शामिल होती है, तो उसके लिए वित्त विभाग से पूर्व अनुमति अनिवार्य रूप से ली जाती है।