मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कमिश्नर-कलेक्टर कॉन्फ्रेंस के दौरान निर्देश दिए कि अब कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, एसपी, डीएफओ सहित सभी वरिष्ठ अधिकारी गांवों में रात्रि प्रवास करेंगे। वे चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याएँ सुनेंगे और उनका समाधान सुनिश्चित करेंगे। सीएम ने अधिकारियों को अस्पतालों का नियमित निरीक्षण करने के साथ ही यह भी कहा कि बड़े अस्पतालों के साथ निजी मेडिकल कॉलेजों का निर्माण पीपीपी मॉडल पर किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि जिलों में स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के बीच बेहतर समन्वय बना रहे। नगरीय निकायों के क्षेत्र में शहरी यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए, बड़े शहरों में फ्लाईओवर का निर्माण कराया जाए और अवैध कॉलोनियों पर नियंत्रण की प्रक्रिया को और तेज किया जाए।
जनता के बीच जाकर संवाद और समाधान
कॉन्फ्रेंस के पहले सत्र में मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया कि आईएएस होना गर्व की बात है, लेकिन सबसे पहले वे जनता के सेवक हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी आम लोगों के बीच जाएं, उनसे संवाद करें, उनकी समस्याएँ सुनें और समय पर राहत पहुंचाएं। सूत्रों के अनुसार, मुख्य सचिव ने कुछ अधिकारियों को यह समझाते हुए आगाह किया कि पद की ऊँचाई से ऊपर उठकर विनम्रता और सेवा भाव के साथ कार्य करें। बुधवार को आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में कानून-व्यवस्था और ग्रामीण जनजीवन से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी। दूसरे दिन तीन सत्र होंगे, जिनमें मुख्य सचिव के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई और जनसंपर्क आयुक्त दीपक सक्सेना मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श करेंगे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के नवाचारपूर्ण कार्यों की प्रशंसा की
गुना कलेक्टर ने गुलाब क्लस्टर विकास की प्रगति का विवरण प्रस्तुत किया, जबकि हरदा कलेक्टर ने जिले में प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी साझा की। शाजापुर कलेक्टर ने खाद वितरण में लागू की गई टोकन प्रणाली पर प्रकाश डाला। श्योपुर कलेक्टर ने नरवाई प्रबंधन और नियंत्रण के प्रभावी उपायों की जानकारी दी। वहीं, खंडवा कलेक्टर ने जिले में गोशालाओं के सफल संचालन के अनुभव साझा किए। मुख्यमंत्री ने कॉन्फ्रेंस के दौरान सभी कलेक्टरों के कार्यों की सराहना की।
सीएम ने प्रशासनिक टीम को दिए प्रभावी नेतृत्व के मंत्र
- ऐसे जनहित कार्य करें जो लोगों के दिलों में याद रह जाएं।
- प्रत्येक स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करें।
- जनप्रतिनिधियों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करें।
- अपनी पूर्ण क्षमता और संसाधनों का सदुपयोग करें।
- सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे जनता तक पहुँचाएं।
- समाज के अंतिम व्यक्ति तक कल्याणकारी योजनाएँ पहुँचें।
- सुशासन का प्रभाव जमीनी स्तर पर दिखाई दे।
- कार्यालय की सीमाओं से बाहर निकलकर जनता के बीच जाएं।
- कमियों की पहचान कर उन्हें शीघ्रता से दूर करें।
- हर परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें।