भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication) के एमपी नगर सिटी कैंपस में सोमवार को भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह आयोजन विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति-जनजाति प्रकोष्ठ द्वारा विकास भवन में किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय परिवार ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी द्वारा बाबा साहब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। उन्होंने कहा, “डॉ. अंबेडकर केवल संविधान निर्माता नहीं थे, बल्कि वे एक कुशल वकील, गहन अर्थशास्त्री और समाज को दिशा देने वाले विचारक भी थे।” उन्होंने यह भी साझा किया कि जब उन्होंने बाबा साहब की आर्थिक विषयों पर लिखी पुस्तक पढ़ी, तो उनके प्रति देखने का नजरिया ही बदल गया।

कुलगुरु तिवारी ने अमृतलाल नागर की प्रसिद्ध पुस्तक “नाच्यो बहुत गोपाल” का उल्लेख करते हुए छात्रों और शिक्षकों से इसके अध्ययन की सलाह दी। साथ ही उन्होंने अपने शिक्षक सुंदरलाल जाटव को भावुकता से याद करते हुए कहा कि “आज मैं जो कुछ भी हूं, वह मेरे गुरुओं की प्रेरणा और आशीर्वाद का परिणाम है।”
बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करने की अपील
इस अवसर पर अनुसूचित जाति-जनजाति प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. प्रदीप डहेरिया ने डॉ. अंबेडकर के सामाजिक और वैचारिक योगदानों पर प्रकाश डाला। वहीं सह-संयोजक ज्ञानेश्वर ढोके ने भावनात्मक लहजे में कहा कि बाबा साहब के आदर्शों को अपने जीवन में उतारना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
बोर्ड ऑफिस चौराहे तक निकाली गई रैली
कार्यक्रम के बाद विश्वविद्यालय से बोर्ड ऑफिस चौराहे तक एक रैली निकाली गई। कुलगुरु तिवारी ने झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया। रैली के समापन पर बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी गई।
उपस्थित रहे विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी और विद्यार्थी
इस आयोजन में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी, विभागाध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव, डॉ. मोनिका वर्मा, डॉ. राखी तिवारी, वरिष्ठ सहायक कुलसचिव विवेक सावरीकर, आराधना मालवीय, विवेक शाक्य सहित अनेक शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरुण खोबरे ने किया, जबकि आभार व्यक्त करने का कार्य अरुण अहिरवार ने किया।