प्रदेश में शराब बैन! जानें वो कौन से 17 धार्मिक नगर जहां शराब की दुकानों पर लग जाएगा ताला

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By Srashti BisenPublished On: January 24, 2025

MP LIQUOR BAN : मध्य प्रदेश में शराबबंदी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 17 प्रमुख धार्मिक नगरों में शराब पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। यह कदम राज्य सरकार की ओर से शराब की समस्या पर काबू पाने और समाज में नशे की आदतों से होने वाली बर्बादी को रोकने के लिए उठाया गया है। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा नरसिंहपुर में एक सार्वजनिक सभा के दौरान की, जहां उन्होंने कहा कि “हमारे धार्मिक स्थलों को पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित करेंगे और यहां शराब पर पूर्ण प्रतिबंध होगा।”

धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी का फैसला

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शराबबंदी की घोषणा करते हुए कहा, “नशाखोरी की आदत समाज के लिए खतरे की घंटी है, और यह परिवारों को बर्बाद कर देती है। शराब के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को देखते हुए हमने यह फैसला लिया है।” उनका कहना था कि इस निर्णय से न केवल धार्मिक नगरीयों का सम्मान बढ़ेगा, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी आएगा।

मध्य प्रदेश के इन धार्मिक शहरों में होगी शराबबंदी

मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक, शराबबंदी का फैसला जिन 17 धार्मिक नगरों में लागू होगा, उनकी सूची इस प्रकार है:

  1. चित्रकूट (भगवान राम का वनवास स्थल)
  2. मैहर (मां शारदा मंदिर)
  3. दतिया (पीतांबरा माता मंदिर)
  4. सलकनपुर (प्रसिद्ध देवी मंदिर)
  5. ओरछा (रामराजा मंदिर)
  6. ओंकारेश्वर (ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग)
  7. उज्जैन (महाकालेश्वर मंदिर)
  8. अमरकंटक (नर्मदा का उद्गम स्थल)
  9. मंडला (नर्मदा के घाट)
  10. महेश्वर (प्राचीन मंदिर)
  11. मुलताई (ताप्ती नदी का उद्गम)
  12. जबलपुर (नर्मदा घाट के लिए प्रसिद्ध)
  13. नलखेड़ा (मां बगुलामुखी मंदिर)
  14. मंदसौर (पशुपतिनाथ मंदिर)
  15. बरमान घाट और मंडेलश्वर (नर्मदा के प्रसिद्ध घाट)
  16. पन्ना (जुगलकिशोर भगवान का मंदिर)
  17. भोजपुर (महादेव का प्राचीन मंदिर)

आबकारी नीति में होगा बदलाव, नए वित्तीय वर्ष से लागू होगा निर्णय

राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद, मध्य प्रदेश के आगामी बजट सत्र में शराबबंदी के फैसले से संबंधित प्रस्ताव पेश किया जाएगा। सरकार ने ऐलान किया है कि इन 17 धार्मिक नगरों के लिए आबकारी नीति में संशोधन किया जाएगा, और यह व्यवस्था नए वित्तीय वर्ष, यानी 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी।