कृषि संबंधी कानून हमारे किसानों के लिए मौत का फरमान हैं- राहुल गांधी

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By Akanksha JainPublished On: September 28, 2020

नई दिल्ली। 2 अक्टूबर को कृषि विधेयकों के विरोध में खड़ी कांग्रेस ‘किसान-मजदूर बचाओ दिवस’ का आयोजन करेगी। वही, प्रदर्शनों में पूरे देश से विधानसभा और जिला मुख्यालयों पर धरने और मार्च होंगे। इसके साथ ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी कांग्रेस शासित राज्यों से अपील की है कि वे कानून पारित करके इन अत्याचारी विधानों को दरकिनार करने की संभावनाएं तलाशें ताकि केंद्र द्वारा किसानों पर हो रहे घोर अन्याय को रोका जा सके।

सोमवार को कांग्रेस ने कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ कई राज्यों की राजधानियों में प्रदर्शन किया। साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी शासित प्रदेशों की सरकारों से कहा कि वे इन कानूनों को निष्प्रभावी करने के मकसद से अपने यहां कानून पारित करने की संभावनाओं पर विचार करें। साथ ही, पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के अनुसार, सोनिया ने कांग्रेस शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे संविधान के अनुच्छेद 254 (ए) के तहत कानून पारित करने के संदर्भ में गौर करें।

वेणुगोपाल ने कहा कि यह अनुच्छेद इन ‘कृषि विरोधी एवं राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल देने वाले’ केंद्रीय कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए राज्य विधानसभाओं को कानून पारित करने का अधिकार देता है।

गौरतलब है कि वर्तमान में पंजाब, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें हैं। वही महाराष्ट्र और झारखंड में वह गठबंधन सरकार का हिस्सा है। सोमवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कृषि संबंधी कानूनों को लेकर सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा साथ ही आरोप लगाया कि किसानों की आवाज संसद और बाहर दोनों जगह दबाई गई।

राहुल गांधी ने राज्यसभा में इन विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान हुए हंगामे से जुड़ी एक खबर को शेयर करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि, ”कृषि संबंधी कानून हमारे किसानों के लिए मौत का फरमान हैं। उनकी आवाज संसद और बाहर दोनों जगह दबाई गई। यहां इस बात का सबूत है कि भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया है।”

वही, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि, ”शहीद भगत सिंह ने कहा था कि शोषण करने वाली व्यवस्था पूंजीपतियों के फायदे के लिए किसानों मजदूरों का हक छीनती है। भाजपा सरकार अपने खरबपति मित्रों के लिए किसानों की एमएसपी का हक छीनकर उन्हें बंधुआ खेती में धकेल रही है। किसान विरोधी बिलों के खिलाफ संघर्ष ही भगत सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि है।”