मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी खाद्यान्न योजना और राशन कार्ड योजना में बड़ा बदलाव किया है। अब इसका लाभ केवल उन्हीं परिवारों को मिलेगा, जो पात्रता की शर्तों पर खरे उतरते हैं। सरकार ने ऐसे हितग्राहियों के नाम सूची से काटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो नियमों के अनुसार पात्र नहीं हैं। इसमें वे परिवार शामिल हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो गई है, जिनके पास पक्के मकान, चार पहिया वाहन या कृषि भूमि की अधिक मात्रा है। इसके अलावा, जिन परिवारों के सदस्य सरकारी नौकरी या आयकरदाता हैं, उन्हें भी अब इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
प्रदेश सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी खाद्यान्न योजना और राशन कार्ड योजना का लाभ केवल पात्र परिवारों को ही मिलेगा। जिन परिवारों की वार्षिक आमदनी 6 लाख रुपए से अधिक है, जिनके पास 25 लाख रुपए से ज्यादा का व्यवसाय है, जो जीएसटी का भुगतान करते हैं या किसी पंजीकृत कंपनी में निदेशक (डायरेक्टर) के पद पर कार्यरत हैं, उन्हें योजना से बाहर कर दिया जाएगा। सरकार का मानना है कि इन परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत है और इन्हें गरीबों के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ नहीं मिलना चाहिए।
संदिग्ध लाभार्थियों पर हुई कार्रवाई
खाद्य आयुक्त अनुराग वर्मा ने प्रदेशभर में चल रही जांच के आधार पर 1.65 लाख ऐसे परिवारों की पहचान की है, जो संदिग्ध श्रेणी में आते हैं। इन परिवारों को नोटिस जारी कर उनके नाम खाद्यान्न योजना की सूची से हटाने के निर्देश संबंधित जिलों के कलेक्टरों को दे दिए गए हैं। यह कदम उन गरीब और जरूरतमंद परिवारों तक योजना का वास्तविक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है।
29 श्रेणियों में अपात्रों की पहचान
कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने 29 अलग-अलग श्रेणियां निर्धारित की थीं, जिनमें आने वाले परिवारों को अपात्र या संदिग्ध माना गया था। प्रदेश सरकार ने इनमें से 3 प्रमुख श्रेणियों पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए जांच प्रक्रिया को तेज कर दिया है। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कुल 1.29 करोड़ परिवारों में से 64.88 लाख परिवार अपात्र पाए गए हैं। यह संख्या बेहद चौंकाने वाली है और बताती है कि योजनाओं का लाभ कई वर्षों से गलत हाथों तक भी पहुंच रहा था।
नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने 8 अगस्त से संदिग्ध परिवारों के नाम सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक 1.63 लाख परिवारों को इस प्रक्रिया में शामिल किया गया है। प्रशासन का लक्ष्य है कि वास्तविक गरीब और जरूरतमंद लोगों की पहचान सुनिश्चित की जाए और उन्हें ही राशन योजना का लाभ दिया जाए।
अपात्र पाए गए परिवारों की संख्या
जांच के दौरान जिन परिवारों को अपात्र पाया गया है, उनके आंकड़े भी विभाग ने जारी किए हैं:
• 1,46,418 परिवार ऐसे हैं जिनकी वार्षिक आमदनी 6 लाख रुपए से अधिक है।
• 17,902 परिवार ऐसे हैं जिनके सदस्य पंजीकृत कंपनियों में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।
• 1,302 परिवार ऐसे हैं जो 25 लाख रुपए से अधिक का व्यवसाय कर रहे हैं।
इन तीन श्रेणियों को प्राथमिकता से सूची से बाहर किया जा रहा है ताकि योजनाओं का दुरुपयोग रोका जा सके।
असली जरूरतमंदों तक पहुंचेगा लाभ
सरकार का मानना है कि इस तरह की पारदर्शिता और सख्ती से केवल वही परिवार योजना का लाभ ले पाएंगे, जो वास्तव में गरीब हैं और जिन्हें सस्ती दर पर खाद्यान्न की आवश्यकता है। साथ ही इस कार्रवाई से सरकारी खजाने पर पड़ने वाला अतिरिक्त बोझ भी कम होगा और संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।