राजस्थान के चर्चित कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ एक बार फिर विवादों में घिर गई है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट का यह फैसला 10 जुलाई 2025 को आया। जमीयत के मुताबिक यह फिल्म समाज में सांप्रदायिक तनाव और दंगे भड़काने का काम कर सकती है।
CBFC पर जमीयत का निशाना – देश का माहौल बिगाड़ने का आरोप

जमीयत के लीगल एडवाइजर सैयद मौलाना काब रशीदी ने सेंसर बोर्ड (CBFC) पर सीधा आरोप लगाया है कि वह बार-बार ऐसी फिल्मों को पास कर रहा है जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं और देश का माहौल खराब करती हैं। उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड को फिल्मों को मनोरंजन तक सीमित रखना चाहिए, न कि नफरत फैलाने का जरिया बनने देना चाहिए।
फिल्म के कंटेंट पर आपत्ति
जमीयत का कहना है कि फिल्म उदयपुर फाइल्स में मुस्लिम धार्मिक संस्थानों जैसे दारुल उलूम देवबंद और उसके नेताओं को आतंकवाद से जोड़कर दिखाया गया है, जो न केवल भारतीय संस्कृति और इतिहास का अपमान है, बल्कि करोड़ों मुस्लिमों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाता है। रशीदी ने यह भी आरोप लगाया कि फिल्म में पैगंबर मोहम्मद साहब और उनसे जुड़े लोगों पर अभद्र टिप्पणियां की गई हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के हेट स्पीच मामले (2022) के खिलाफ है।
सरकार से मांगी सफाई, एक हफ्ते में लेना होगा फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने सिनेमैटोग्राफ एक्ट की धारा-6 के तहत जमीयत को केंद्र सरकार के पास शिकायत दर्ज कराने की अनुमति दी है। इसके तहत केंद्र को एक सप्ताह के भीतर इस शिकायत पर स्पष्ट निर्णय लेना होगा। जमीयत ने फिल्म के ट्रेलर को लेकर भी आपत्ति जताई है, जो भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के 2022 के विवादित बयान से शुरू होता है। उस बयान से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान पहुंचा था, और भाजपा ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था।