इंदौर में घर-घर होगा 28.67 लाख मतदाताओं का सत्यापन, वोटर लिस्ट को आधार से जोड़ना अब हुआ वैकल्पिक

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By Pinal PatidarPublished On: October 29, 2025

इंदौर में इस समय मतदाता सूची के पुनरीक्षण और वेरिफिकेशन का काम जोरों पर चल रहा है। बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर मतदाताओं का नए सिरे से पंजीकरण और पहचान सत्यापन कर रहे हैं। यह प्रक्रिया सिर्फ नए मतदाताओं के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए भी अनिवार्य है जिनके नाम पहले से मतदाता सूची में दर्ज हैं। शहर की लगभग 45 लाख की आबादी में से करीब 28 लाख 67 हजार से अधिक मतदाताओं का सत्यापन किया जाएगा। इस कार्य का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची पूरी तरह सटीक और अद्यतन हो, जिससे आगामी चुनावों में कोई भी पात्र मतदाता वोट डालने से वंचित न रहे।

आधार से लिंकिंग अब स्वैच्छिक, नहीं रहेगा कोई दबाव


इस बार निर्वाचन आयोग ने एक बड़ा बदलाव किया है। आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, मतदाता सूची को आधार कार्ड से जोड़ना पूरी तरह स्वैच्छिक रहेगा। यानी किसी भी मतदाता पर आधार लिंक कराने के लिए कोई दबाव नहीं डाला जाएगा। यह मतदाता की अपनी इच्छा पर निर्भर करेगा कि वह अपने वोटर आईडी को आधार से लिंक कराना चाहता है या नहीं। यह कदम मतदाताओं की निजता और स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

बीएलओ को मिलेगा बीएलए का सहयोग, मजदूर वर्ग तक पहुंचेगी टीम

मतदाताओं के सत्यापन कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए बीएलओ के साथ अब राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) भी सक्रिय भूमिका निभाएंगे। बीएलए अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाता सूची के पुनरीक्षण में मदद करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी पात्र व्यक्ति छूटे नहीं। खास बात यह है कि जो मजदूर या कामगार दिनभर काम पर रहते हैं और घर पर नहीं मिल पाते, उनके सत्यापन के लिए बीएलए सुबह तड़के या भोर में घर-घर जाकर जानकारी एकत्र करेंगे। यह प्रयास सुनिश्चित करेगा कि हर वर्ग तक वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पहुंचे और सूची अधिक सटीक बने।

सदी पार कर चुके मतदाताओं की सूची पर उठे सवाल

वेरिफिकेशन प्रक्रिया के दौरान 100 वर्ष से अधिक उम्र वाले मतदाताओं को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। कलेक्टर कार्यालय में हुई समीक्षा बैठक में जनप्रतिनिधियों ने यह मुद्दा उठाया कि मतदाता सूची में 13,530 लोग ऐसे दर्ज हैं जिनकी उम्र 80 साल से अधिक है, जबकि 135 मतदाता 100 साल से ऊपर बताए गए हैं। कुछ नामों के सामने तो 110 से लेकर 115 वर्ष तक की उम्र लिखी है, जिस पर जनप्रतिनिधियों ने आपत्ति जताई और कहा कि इसकी गहन जांच होनी चाहिए। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि ऐसे सभी मामलों का भौतिक सत्यापन कर वास्तविक स्थिति स्पष्ट की जाएगी।

दिव्यांग और थर्ड जेंडर मतदाताओं के लिए विशेष अभियान

बैठक में यह भी तय किया गया कि शहर के 13,838 दिव्यांग मतदाताओं का भी व्यक्तिगत रूप से सत्यापन किया जाएगा। इसके लिए संबंधित सूचियों के आधार पर पहचान पत्र एकत्र किए जाएंगे और उनकी वास्तविक स्थिति का रिकॉर्ड रखा जाएगा। इसके अलावा, थर्ड जेंडर (किन्नर समुदाय) के मतदाताओं की संख्या को लेकर भी चिंता जताई गई। वर्तमान में इंदौर की मतदाता सूची में केवल 106 थर्ड जेंडर मतदाता दर्ज हैं, जबकि समुदाय की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक मानी जाती है। अब प्रशासन ने तय किया है कि विशेष अभियान चलाकर किन्नर समुदाय के लोगों को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा, ताकि उन्हें भी मतदान के अधिकार का पूरा लाभ मिल सके।

मतदाता सूची को सटीक और समावेशी बनाने की दिशा में बड़ा कदम

इंदौर प्रशासन का यह अभियान शहर की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बीएलओ, बीएलए और निर्वाचन विभाग की टीम मिलकर यह सुनिश्चित करने में जुटी हैं कि कोई भी पात्र नागरिक छूट न जाए। बुजुर्ग, दिव्यांग और थर्ड जेंडर मतदाताओं को सूची में पूरी तरह शामिल कर, यह पहल न केवल समावेशिता (Inclusivity) की दिशा में आगे बढ़ेगी बल्कि इंदौर को एक मॉडल निर्वाचन जिला के रूप में भी स्थापित करेगी।