एडवेंचर और पर्यटन के शौकीनों के लिए विशाखापट्टनम में एक नया आकर्षण खुल गया है। शहर की खूबसूरत कैलासगिरी पहाड़ी पर भारत के सबसे लंबे कैंटिलीवर ग्लास स्काईवॉक का उद्घाटन किया गया है। 1 दिसंबर को विशाखापट्टनम के सांसद भरत ने इसे आम जनता और पर्यटकों के लिए समर्पित किया। करीब 1000 फीट की ऊंचाई पर हवा में चलने का रोमांच देने वाला यह स्काईवॉक विजाग के पर्यटन को नई पहचान देने के लिए तैयार है।

7 करोड़ रुपये की लागत से बने इस स्काईवॉक को दिसंबर की छुट्टियों के मौसम में लॉन्च किया गया है, ताकि शहर में आने वाले हजारों पर्यटक इसका लुत्फ उठा सकें। यह स्काईवॉक एक इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है, जो पर्यटकों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करेगा।
हवा में तैरने जैसा अनुभव
यह ग्लास स्काईवॉक 50 मीटर लंबा है और इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका कैंटिलीवर डिजाइन है। इसका मतलब है कि यह सीधे चट्टान से बाहर की ओर निकला हुआ है और इसके नीचे कोई पिलर या सपोर्ट नहीं है। जब पर्यटक इसके पारदर्शी ग्लास पर कदम रखते हैं, तो उन्हें हवा में तैरने जैसा महसूस होता है। यहां से एक तरफ गहरी घाटी का दिल दहला देने वाला नजारा और दूसरी तरफ बंगाल की खाड़ी का अनंत नीला विस्तार दिखाई देता है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
इसकी मजबूती और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। स्काईवॉक का निर्माण 40 टन स्टील और जर्मन तकनीक वाले ट्रिपल-लेयर ग्लास से किया गया है। इसमें 40mm मोटा टेम्पर्ड लैमिनेटेड ग्लास लगाया गया है, जो इसे असाधारण मजबूती देता है। इस स्ट्रक्चर को तटीय क्षेत्र के तेज हवा के दबाव और मौसम की चुनौतियों को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है, ताकि पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

एक साथ कितने लोग जा सकते हैं?
फिलहाल, भीड़ को नियंत्रित करने और सभी को बेहतर अनुभव देने के लिए एक बार में 20 से 40 लोगों के छोटे समूह को ही स्काईवॉक पर जाने की अनुमति दी जा रही है। हर समूह को 10 से 15 मिनट का समय मिलता है, ताकि वे आराम से समुद्र, शहर और पहाड़ों के 360-डिग्री व्यू का आनंद ले सकें। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यहां का नजारा बेहद खूबसूरत होता है, जो इसे फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक परफेक्ट स्पॉट बनाता है।










