पूजा पंवार की कलम से…

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By Akanksha JainPublished On: August 4, 2021

छूने से अचार खराब हो जाता है
तुलसी सुख जाती है
जब मेरी रजस्वला की स्थिति आती है…
चूल्हा चौका जाना वर्जित मेरा
और परछाई मंदिर पर गिरे
तो औरो के लिए श्राप बन जाती है
जब मेरी रजस्वला की स्थिति आती है…
गर्भ में रखकर सिचा जिस खून से
लड़का ताउम्र पवित्र,
उसी रक्त स्त्राव से लड़की अपवित्र कहलाती है
जब मेरी रजस्वला की स्थिति आती है….
ये देन है सिर्फ अंधविश्वास की जो
समाज को खोखला कर जाती है
भिन्न हुई में हर वर्णों में (ब्राह्मण शूद्र क्षत्रिय वैश्य)
क्योंकी महिला मेरी “जाति” है
जब मेरी रजस्वला की स्थिति आती हैं
असहनीय पीड़ा को सहकर
नए सृजन की शक्ति देकर जाती है