भारत के भीड़ भरे शहरों में सड़कों पर रेंगते वाहनों की आवाजाही से आये दिन लगने वाले ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए व्यस्ततम मार्गों पर फ्लाय ओवर का निमार्ण कोई नई बात नहीं है। पर किसी एक फ्लाय ओवर के ऊपर से गुजरते दूसरे फ्लाय ओवर की क्रॉसिंग तनिक अचरज भरी लग सकती है। यह चौंकाने वाला दृश्य नज़र आता है गुजरात में सौराष्ट्र के राजसी ठाठबाट वाले शहर राजकोट में।

कालावाड़ रोड पर एक अरब उनतीस करोड़ रूपये की लागत से निर्मित इस फ्लाय ओवर का लोकार्पण अभी पिछले महीने ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है। करीब एक किलोमीटर लंबे और पंद्रह मीटर चौड़े इस फ्लाय ओवर के नीचे पूर्व में बने एक अन्य फ्लाय ओवर पर यातायात पहले से चालू था। फ्लाय ओवर के ऊपर एक और फ्लाय ओवर बन जाने से अब शहर के व्यस्ततम कालावाड़ रोड पर लोगों को ट्रैफिक जाम से राहत मिली है और डेढ़ सौ फीट चौड़े रिंग रोड तक अब वाहनों की सुगम आवाजाही होने लगी है। गौर तलब है कि यह सौराष्ट्र अंचल का सबसे लंबा फ्लाय ओवर ब्रिज है।
लेकिन राजकोट शहर को मिली इस नई सौगात को लेकर स्थानीय नागरिकों, ख़ासकर युवाओं में सेल्फी लेने/ रील बनाने का इतना जबर्दस्त क्रेज़ सामने आया है कि वहां दिन भर भीड़ जमा होने से फ्लाय ओवर पर भी ट्रैफिक जाम होने लगा है। हालात से निपटने के लिए राजकोट नगर निगम द्वारा फ्लाय ओवर की मुंडेर को फाइबर शीट लगाकर ऊंचा किया जा रहा है। इससे फ्लाय ओवर के आस-पास के रहवासियों को ध्वनि प्रदूषण से निजात भी मिलेगी। इधर, पिछले महीने ही हीराबाग में राजकोट के जिस नवनिर्मित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का औपचारिक उद्घाटन प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने किया था, वहां से अभी विमानों की नियमित उड़ाने शुरू नहीं हुई हैं और फिलहाल पुराने विमानतल से ही हवाई यात्रियों का आवागमन चल रहा है। अगले महीने की दस तारीख़ से जब नए अंतर्राष्ट्रीय विमानतल से नियमित उड़ानों का संचालन प्रारंभ होगा, तब राजकोट को इन्दौर और उदयपुर से सीधी हवाई यात्रा की सुविधा का अतिरिक्त लाभ मिलने लगेगा। उधर, अहमदाबाद से राजकोट के बीच सवा दो सौ किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग को सिक्स लेन हाई-वे में बदलने का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। इसे 2020 में पूरा करने का लक्ष्य न केवल तीन साल पिछड़ चुका है, बल्कि इस ढिलाई से निर्माण लागत भी कई गुना बढ़ चुकी है।