एमपी पर बढ़ा आर्थिक बोझ, केंद्र ने ठुकराई अतिरिक्त मदद, अब राज्य उठाएगा नल-जल योजनाओं का पूरा खर्च

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By Raj RathorePublished On: September 3, 2025

मध्य प्रदेश के गांवों में चल रही जल जीवन मिशन की नल-जल परियोजनाओं का खर्च पहले के अनुमान से काफी बढ़ गया है। फिलहाल 8,358 नल-जल योजनाएं निर्माणाधीन हैं। इनकी मूल लागत 6,213.76 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन पुनरीक्षित आकलन के बाद यह बढ़कर 9,026.97 करोड़ रुपये हो गई है। यानी 2,813.21 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ राज्य सरकार पर आ गया है, क्योंकि केंद्र सरकार बढ़ी हुई लागत का हिस्सा देने से साफ मना कर चुकी है।


मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट का फैसला

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई हालिया कैबिनेट बैठक में इस बढ़े हुए खर्च को राज्य सरकार द्वारा वहन करने का निर्णय लिया गया। साथ ही, पुनरीक्षित प्रारूप के तहत कार्य को तेज करने पर सहमति बनी। बारिश खत्म होने के बाद इन योजनाओं पर काम की गति और तेज की जाएगी। सरकार का कहना है कि परियोजनाएं पूरी होने के बाद सात लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

केंद्र सरकार ने क्यों ठुकराई मदद?

केंद्र सरकार केवल मूल लागत यानी 6,213.76 करोड़ रुपये के आधार पर अपना 50% हिस्सा दे रही है। नियमों के अनुसार, किसी भी पुनरीक्षित प्रस्ताव को 31 मार्च 2024 से पहले भेजना अनिवार्य था, लेकिन राज्य सरकार इसमें पीछे रह गई। बाद में पुनरीक्षित आकलन भेजने की कोशिश की गई, जिसे केंद्र ने स्वीकार नहीं किया। हालांकि अब राज्य फिर से केंद्र को प्रस्ताव भेजेगा और अतिरिक्त राशि मांगने का प्रयास करेगा। यदि केंद्र मान जाता है, तो राज्य सरकार को 2,813 करोड़ रुपये का बड़ा वित्तीय राहत मिल सकती है।

अब तक कितने काम पूरे हुए?

जल जीवन मिशन के तहत 2023 में प्रदेश में 27,990 एकल नल-जल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी, जिन पर 20,765 करोड़ रुपये खर्च होना तय था। इसके अलावा 148 समूह नल-जल योजनाओं को भी स्वीकृति मिली थी, जिनकी लागत 60,786 करोड़ रुपये आंकी गई थी। अब तक 15,947 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि 12,043 कार्य प्रगति पर हैं। राज्य सरकार का अनुमान है कि कुल मिलाकर इन योजनाओं पर करीब 80,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

देरी से बढ़ रही लागत

परियोजनाओं में देरी की वजह से लागत लगातार बढ़ रही है। सरकार का कहना है कि यदि समय पर काम पूरा नहीं हुआ तो आगे भी खर्च बढ़ सकता है। यही वजह है कि काम की रफ्तार बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

गड़बड़ी पर कार्रवाई

परियोजनाओं में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों और इंजीनियरों की पहचान की गई है। अब तक 139 अधिकारियों और तकनीकी स्टाफ के खिलाफ अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं। कैबिनेट बैठक में इन मामलों पर चर्चा हुई और संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। सरकार का दावा है कि जिम्मेदारों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियां दोहराई न जाएं।