उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से जुड़े छांगुर बाबा पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। खुद को आध्यात्मिक गुरू बताने वाले इस बाबा और उसके करीबियों की बेहिसाब संपत्ति और संदिग्ध लेन-देन की जांच जारी है। बताया जा रहा है कि बाबा के पास बड़ी मात्रा में जमीन-जायदाद, कैश और आभूषण हैं, जिसकी वैधता को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं।
मिर्जापुर और वाराणसी में कई ठिकानों पर छापेमारी
ईडी ने मिर्जापुर, वाराणसी और प्रयागराज समेत कई शहरों में छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। इन छापों के दौरान बड़े पैमाने पर जमीन के दस्तावेज, महंगे वाहन, सोना, और बेहिसाब नकदी मिलने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में करोड़ों रुपये की संपत्ति का खुलासा हो चुका है, जिसकी जांच जारी है।

धार्मिक आस्था की आड़ में बनाई संपत्ति?
ईडी को संदेह है कि छांगुर बाबा ने धार्मिक आस्था और चमत्कार के नाम पर लोगों से दान के रूप में भारी मात्रा में पैसा जुटाया, जिसे बाद में व्यावसायिक संपत्तियों, जमीनों और अन्य साधनों में निवेश कर अकूत दौलत बनाई गई। बाबा के आश्रमों में दान पेटियों और चढ़ावे के रूप में आई रकम का हिसाब-किताब संदिग्ध पाया गया है।
करीबी लोग भी जांच के घेरे में
ईडी सिर्फ छांगुर बाबा तक सीमित नहीं है, बल्कि उसके करीबी अनुयायियों, सहयोगियों और आश्रम प्रबंधकों पर भी नजर रखी जा रही है। इन सभी के बैंक खातों, संपत्तियों और लेन-देन की जांच की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, बाबा के कई अनुयायी सरकारी अफसरों और स्थानीय प्रभावशाली लोगों से भी जुड़े हुए हैं, जिससे मामले की जड़ें और गहरी हो सकती हैं।
इनकम टैक्स और पुलिस विभाग भी सक्रिय
ईडी के साथ-साथ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और पुलिस की टीमें भी बाबा की वित्तीय गतिविधियों और धार्मिक ट्रस्ट के तहत चल रहे फंड के उपयोग पर नजर बनाए हुए हैं। बाबा के ट्रस्ट की रजिस्ट्रेशन डिटेल, फंडिंग स्रोत, और विदेशी चंदे की भी जांच की जा रही है। छांगुर बाबा का मामला धार्मिक आस्था की आड़ में काले धन की अंधी कमाई का प्रतीक बनता जा रहा है। ईडी की कार्रवाई यह दिखाती है कि अब कानून की नजर धार्मिक ढोंग के पीछे छिपी आर्थिक अनियमितताओं पर भी पड़ रही है। आने वाले दिनों में इस जांच से और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं, जिससे छांगुर बाबा की ‘चमत्कारी छवि’ पूरी तरह धूमिल हो सकती है।