ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार देश की थल सेना, वायु सेना और नौसेना एक ही मंच पर साथ आ रही हैं। युद्ध पद्धतियों में बदलाव, नई रणनीतियों की खोज और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर का रण संवाद 2025 आयोजित किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक आयोजन 26 और 27 अगस्त को महू स्थित सैन्य संस्थान में होने जा रहा है।
रक्षा मंत्री और सेनाध्यक्षों की मौजूदगी
कार्यक्रम में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विशेष रूप से शामिल होंगे। वे 27 अगस्त की शाम को महू पहुंचकर इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी, और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह भी मौजूद रहेंगे। इस तरह पहली बार सभी सेनाओं के शीर्ष अधिकारी एक ही मंच से युद्ध और सुरक्षा रणनीति पर चर्चा करेंगे।
महू बना नो-फ्लाई ज़ोन
आयोजन की सुरक्षा और गोपनीयता को देखते हुए 26 से 28 अगस्त तक महू को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया गया है। इस अवधि में महू और उसके आसपास के इलाकों में किसी भी तरह का ड्रोन उड़ाना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। सुरक्षा एजेंसियों ने इस क्षेत्र को उच्च सुरक्षा श्रेणी में रखा है ताकि आयोजन शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से संपन्न हो सके।
पहली बार तीनों सेनाओं का साझा सेमिनार
यह सेमिनार इसलिए खास है क्योंकि देश के इतिहास में पहली बार तीनों सेनाओं का साझा मंच तैयार किया गया है। इसमें न केवल थल सेना, जल सेना और वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे बल्कि रक्षा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ, रक्षा क्षेत्र के शिक्षाविद् और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि भी अपनी भागीदारी देंगे। इससे यह संवाद एक वैश्विक स्वरूप भी ले लेगा।
किन मुद्दों पर होगा विमर्श?
रण संवाद 2025 में भविष्य के युद्ध की संभावनाओं, नई युद्धनीतियों, साइबर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों के प्रभाव, ड्रोन और स्पेस वॉरफेयर जैसे विषयों पर गहन चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही भारत की सामरिक स्थिति को और मज़बूत करने के लिए नई रणनीतियों पर विचार-विमर्श होगा। इस संवाद से सेनाओं के बीच तालमेल और तकनीकी सहयोग को भी नई दिशा मिलेगी।