कोरोना: अर्थव्यवस्था पर ढील देना पड़ेगा भारी, इन मुश्किलों का करना होगा सामना

Author Picture
By Mohit DevkarPublished On: July 17, 2021
MP News

कोरोना वायरस ने दक्षिण एशिया को एक बार फिर से अपने चपेट में ले लिया है। कोरोना के डेल्टा  वैरिएंट का तेजी से प्रसार और टीकाकरण की धीमी गति के कारण दक्षिण एशिया महामारी से युद्ध का सबसे बद्तर मैदान बनता जा रहा है।

जॉन हॉपनिकन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार लैटिन अमेरिका और भारत समेत अन्य देशों में संक्रमण ने दोबारा रफ्तार पकड़ ली है। पिछले सात दिनों में बुधवार तक मौतों के ग्राफ में 39 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जो दुनियाभर में सबसे तेज है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आने वाले समय में संक्रमण का ग्राफ बढ़ने पर मौतों का भी ग्राफ बढ़ेगा।

दक्षिण एशिया में कुल नौ फीसदी टीकाकरण

आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि दक्षिणपूर्व एशिया में कुल टीकाकरण की दर नौ फीसदी है। वहीं पश्चिमी देशों, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में आधे से अधिक आबादी को टीका लग गया है। सबसे खराब स्थिति अफ्रीका और मध्य एशिया में है जहां टीकाकरण की दर बहुत कम है। इसी का नतीजा है कि संक्रमण एक बार फिर बेकाबू होता दिख रहा है।

लॉकडाउन में ढील का नतीजा सामने

रिपोर्ट के अनुसार संक्रमण की तेज रफ्तार का कारण लॉकडाउन में दी गई राहत है। उद्योग और व्यापार को चलाने के लिए दुनिया के सभी देशों ने अपने सीमाओं को खोला है जिसकी बदौलत वायरस अपना दायरा बढ़ा रहा है। सिंगापुर एक मात्र ऐसा देश है जिसने अपनी सीमाओं को खोला तो है लेकिन टीकाकरण पर जोर दे रहा है, आवाजाही को लेकर कई तरह की शर्तें हैं जिस कारण स्थिति नियंत्रण में है।

टीकाकरण की धीमी गति घातक

सिंगापुर के ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स लिमिटेड वरिष्ठ अर्थशास्त्री सियान फेनर का कहना है कि महामारी की तेज रफ्तार और टीकाकरण की धीमी गति का नुकसान फिर से अर्थव्यवस्था होगा।

वायरस हावी होगा तो लोगों की जान बचाने के लिए फिर से बंदिशें लगानी पड़ेंगी, इसका नतीजा ये होगा कि अर्थव्यवस्था एक बार फिर से बेपटरी हो जाएगी। इसका सबसे अधिक नुकसान दुनियाभर की आय के चक्र पर पड़ेगा।