उत्तर प्रदेश सरकार कानून-व्यवस्था, बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर जोर दे रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार अपराध नियंत्रण, निवेश वृद्धि और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के दावों के साथ आगे बढ़ रही है। हालांकि, विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी और अन्य ऐसे मुद्दे हैं जिसे लेकर सरकार पर लगातार हमलावर है, जिससे सरकार की कार्यशैली को लेकर लगातार बहस बनी हुई है।
हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उर्दू भाषा को लेकर की गई टिप्पणी से राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। कई नेता उनके बयान पर असहमति जताते हुए नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं।
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इसी बीच, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि उर्दू शब्दों के बिना कोई भी संवाद संभव नहीं है, क्योंकि वे आम बातचीत का हिस्सा होते हैं। बिना उर्दू शब्दों के बातचीत करना नामुमकिन है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उर्दू केवल मुसलमानों की भाषा नहीं है। फ़िराक गोरखपुरी, जो उर्दू के महानतम विद्वानों में से एक थे, मुस्लिम नहीं थे। उन्होंने कहा कि उर्दू किसी एक समुदाय की नहीं, बल्कि सभी की भाषा है। आगे उन्होंने कहा की, “मैं मुख्यमंत्री को चैलेंज देता हूं कि वे बिना उर्दू शब्दों का उपयोग किए सामान्य बातचीत करके दिखाएं।”
ओवैसी ने भी योगी सरकार को घेरा
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एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर योगी सरकार पर निशाना साधा है। अपने तीखे अंदाज के लिए मशहूर ओवैसी ने कहा की योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उर्दू पढ़ने से वैज्ञानिक नहीं, बल्कि कठमुल्ले बनते हैं। लेकिन उनके पूर्वजों में से किसी ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया। खुद योगी ने उर्दू नहीं पढ़ी, फिर वे वैज्ञानिक क्यों नहीं बने?” इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि योगी गोरखपुर से आते हैं, जहां से मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी भी हुए। अगर योगी की सोच ऐसी ही है, तो क्या वे उन्हें भी कठमुल्ला कहेंगे? उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह बयान उनकी बौद्धिक क्षमता को दर्शाता है।
ये था सीएम योगी का पूरा बयान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने कड़े फैसलों और हिंदुत्ववादी छवि के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनके बयानों को लेकर विवाद भी कम नहीं होते। अक्सर अपनी कट्टरपंथी विचारधारा और विवादित टिप्पणियों के कारण चर्चा में रहने वाले योगी आदित्यनाथ एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं।
दरअसल, हाल ही में योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा था कि जब सरकार शिक्षा सुविधाओं को बेहतर बनाने की पहल करती है, तो समाजवादी पार्टी उर्दू शिक्षा को प्राथमिकता देने की मांग करने लगती है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष बच्चों को मौलवी बनाने और देश को कठमुल्लावाद की ओर धकेलने की कोशिश कर रहा है। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली, जहां समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कई नेताओं ने इसे आड़े हाथों लिया और कड़ी आलोचना की।
हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़े भारतीय
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीय नागरिकों का मुद्दा उठाते हुए सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस तरह यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को करारा जवाब दिया, उससे उनके प्रति सम्मान और बढ़ गया है। पूरी दुनिया उनकी तारीफ कर रही है। अल्वी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें भी इससे सीख लेनी चाहिए और ट्रंप के सामने झुकने से बचना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय नागरिकों को हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़कर भेजा गया, लेकिन इस पर पीएम मोदी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जो उनकी कमजोरी को दर्शाता है।