कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश के नगरीय प्रशासन ने अब सभी नगरीय निकायों में गीता भवन बनाने की कार्ययोजना शुरू कर दी है। पहले चरण में ऐसे निकायों में निर्माण होगा जहाँ पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। विभाग ने सभी नगरपालिकाओं और नगर निगमों से जमीन की जानकारी मांगी है। जिन निकायों के पास जमीन नहीं है, उन्हें सरकार प्रतीकात्मक रूप से एक रुपए में जमीन उपलब्ध कराएगी। गीता भवन का निर्माण पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड के तहत होगा और इसे सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। भवन में बड़े हॉल के साथ-साथ पुस्तकालय की सुविधा भी होगी, ताकि छात्र अध्ययन कर सकें। इसके अतिरिक्त ई-लायब्रेरी की व्यवस्था भी की जाएगी।
निर्माण का पैमाना और संख्या
इस योजना के तहत कुल 413 नगरीय निकायों में गीता भवन बनाए जाने का लक्ष्य है। ये भवन सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में काम करेंगे और युवाओं के अध्ययन एवं शिक्षण गतिविधियों के लिए लायब्रेरी की सुविधा भी प्रदान करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पहले ही घोषणा की थी कि सभी नगरीय निकायों में गीता भवन का निर्माण किया जाएगा। नगरीय विकास विभाग ने पाँच साल के भीतर इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिन निकायों में जमीन उपलब्ध है, वहां निर्माण एजेंसी का चयन कर जल्द ही निर्माण कार्य आरंभ करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
भवन की क्षमता आबादी के अनुसार तय
गीता भवन का आकार और बैठक क्षमता नगर की जनसंख्या के आधार पर तय की जाएगी। 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर निगमों में 1500 सीट क्षमता वाले भवन बनाए जाएंगे। 5 लाख तक की आबादी वाले नगर निगमों में भवन की क्षमता 1000 सीट होगी, जबकि छोटी नगर पालिकाओं में 500 सीट क्षमता वाले गीता भवन बनाए जाएंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भवन भविष्य में बढ़ती आबादी और आवश्यकताओं को भी पूरा कर सके।
कमर्शियल और अतिरिक्त सुविधाएँ
गीता भवन का निर्माण निजी डेवलपर्स द्वारा किया जाएगा और उन्हें बदले में कुछ कमर्शियल स्पेस उपलब्ध कराया जाएगा। नगरीय निकायों के लिए भवन में कुछ दुकानें होंगी, जिनसे किराया प्राप्त होगा और भवन के रखरखाव का खर्च इससे पूरा होगा। भवन में साहित्य सामग्री बिक्री केंद्र, कैफेटेरिया और स्वल्पाहार गृह की सुविधाएं भी रहेंगी। पुस्तकालय में अध्ययन करने वालों के लिए एसी, पंखे और ठंडे पानी की व्यवस्था की जाएगी। ऑडीटोरियम में प्रवचन, सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजन किए जा सकेंगे, जिससे गीता भवन सिर्फ धार्मिक केंद्र ही नहीं बल्कि शिक्षा और संस्कृति का भी महत्त्वपूर्ण स्थल बनेगा।