‘मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के फायदे दिखने लगे’, चर्चा में बोले CM मोहन यादव

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By Ravi GoswamiPublished On: November 8, 2024

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव प्रदेश को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। उनका मानना है कि किसी भी राज्य का विकास स्कूली शिक्षा को मजबूत किए बिना संभव नहीं है। इसी दिशा में उन्होंने राज्य में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है। इसके तहत प्रदेश में कई नवाचार किए गए हैं। इसके अलावा, सरकार राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को उच्चतम स्तर पर पहुंचाने के लिए लगातार काम कर रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह जानकारी साझा की और प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने स्तर पर नवाचार करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों में पैरामेडिकल और नर्सिंग पाठ्यक्रम संचालित किए जाएं।

विशेष समिति का गठन

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी युवाओं को सशक्त भारत के निर्माण के लिए सबसे बड़ी और आवश्यक गारंटी मानते हैं। पीएम मोदी की पहल से नई शिक्षा नीति में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इस नीति के तहत युवाओं को ज्ञान संपन्न बनाने और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में पारंगत करने की रणनीति बनाई गई है। इसी उद्देश्य से मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई अभिनव प्रयास किए गए हैं, जिसके लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। विद्यार्थियों को उनकी रुचि, दक्षता और क्षमता के अनुसार शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था का प्रसार सफल हो रहा है। प्रदेश का ग्रॉस एनरोलमेंट अनुपात 28.4 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 28.9 प्रतिशत है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

कृषि क्षेत्र में युवाओं की बढ़ती दिलचस्पी

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मध्य प्रदेश तेजी से कार्य कर रहा है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ग्रेजुएशन स्तर पर कृषि जैसे विषयों की पढ़ाई में भी अच्छे परिणाम सामने आए हैं। प्रदेश के 7 विश्वविद्यालयों और 18 सरकारी स्वशासी महाविद्यालयों में B.Sc कृषि पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है, जिसमें 1189 विद्यार्थी लाभ उठा रहे हैं। इसके अलावा, पायलट ट्रेनिंग कोर्स और एविएशन सर्टिफिकेट कोर्स के लिए 5 विश्वविद्यालयों ने पहल की है। सीएम मोहन यादव ने यह भी जानकारी दी कि मध्य प्रदेश में 1.29 लाख विद्यार्थियों ने बहुविषयक अध्ययन का लाभ लिया है।