Bangladesh Violence: बांग्लादेश में जगह-जगह हिंसा, प्रदर्शनकारियों ने दिग्गज क्रिकेटर समेत चीफ जस्टिस का घर किया आग के हवाले

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By Srashti BisenPublished On: August 6, 2024
Bangladesh Violence: बांग्लादेश वर्तमान में एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। हिंसक प्रदर्शनों के बीच, प्रधानमंत्री शेख हसीना को अचानक पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भागना पड़ा। इस समय, हसीना भारत में शरण में हैं। हालांकि, उनके इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद भी बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। राजधानी ढाका सहित कई शहरों में तोड़फोड़, आगजनी और गोलीबारी का सिलसिला जारी है।

‘प्रदर्शनकारियों ने दिग्गज क्रिकेटर समेत चीफ जस्टिस का घर किया आग के हवाले’

बांग्लादेश में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने अब गंभीर रूप ले लिया है। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेशी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मशरफे मुर्तजा के घर में आग लगा दी है, इसी तरह बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश के आवास में भी तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। इस भीषण हिंसा ने देश के अंदर अराजकता और अस्थिरता को बढ़ा दिया है।

इस गंभीर संकट ने कट्टरपंथियों को भी उकसाया है। हिंसक प्रदर्शनों के दौरान, कट्टरपंथियों ने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के ऐतिहासिक निवास ‘बंगबंधु भवन’ पर भी हमला किया। यह भवन ढाका के धानमंडी क्षेत्र में स्थित है और शेख मुजीबुर रहमान ने इसे अपने निजी निवास के रूप में उपयोग किया था। प्रदर्शनकारियों ने इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारत में तोड़फोड़ की और आग लगा दी, जिससे भारी नुकसान हुआ है।

‘बांग्लादेश में जगह-जगह हिंसा’

विरोध प्रदर्शन का यह उग्र रूप बांग्लादेश की सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के सांसद मुर्तजा पर केंद्रित है, जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने कथित ‘नरसंहार और छात्रों की सामूहिक गिरफ्तारी’ पर चुप्पी साधने के लिए जिम्मेदार ठहराया। हाल की घटनाओं में, प्रदर्शनकारियों ने मुर्तजा के घर में भी तोड़फोड़ की और आगजनी की, जिससे उनका घर पूरी तरह से तबाह हो गया।

‘सेना के जवान सड़कों पर तैनात’

वहीं, ढाका में बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश के निवास पर भी प्रदर्शनकारियों ने हमला कर लूटपाट की। पुलिस व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है; सड़कों पर पुलिस की अनुपस्थिति देखी जा रही है और बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड के जवानों को भी ड्यूटी से हटा लिया गया है। इस समय, केवल सेना के जवान सड़कों पर तैनात हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है, जिससे सुरक्षा स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है।