महेश दीक्षित
हे जनता! तुम जनार्दन हो । तुम इस, उस सब सरकारों की मालिक हो। तुमने खुद अपने भारतीय संविधान में लिखा है कि, जनता द्वारा जनता के लिए चुनी गईं ये सब जनता की सरकारें हैं। हे जनता जनार्दन! तुमने संविधान में अपने लिए कुछ मौलिक अधिकार तय किए हैं। जिनके अनुसार तुमको तुम्हारे द्वारा निर्मित सरकारों से बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और योग्यता अनुसार रोजगार के साथ बुनियादी सुविधाएं हासिल करने का पूरा अधिकार है। अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों-पार्षद, विधायक और सांसद के साथ जिला प्रशासन में सेवा के लिए नियुक्त किए गए शासकीय सेवकों (शासकीय कर्मचारी-अधिकारी) से बुनियादी सुविधाएं मांगने और नहीं मिलने पर इनसे सवाल करने का तुमको पूरा हक है।
![हे जनता जनार्दन तुम जागो, तुमको गुलाम बनाया जा रहा है...](https://ghamasan.com/wp-content/uploads/2020/10/covid-19-1-e1635145948624.jpg)
तुमको इनसे हर दिन सवाल करना ही होगा,
इसीलिए कि, जिन्हें तुमने अपना जनप्रतिनिधि चुनकर स्थानीय नगरीय निकायों, विधानसभा और संसद में भेजा है, क्योंकि वे तुम्हारे मौलिक अधिकारों की चिंता नहीं कर रहे हैं…तुम्हारी बुनियादी जरूरतों के प्रति बेपरवाह हो गए हैं। इसीलिए ही तुमको अपने क्षेत्र में ऐसे जन प्रतिनिधियों का बहिष्कार और उनकी उपेक्षा करना भी शुरू करना होगा ।
![हे जनता जनार्दन तुम जागो, तुमको गुलाम बनाया जा रहा है...](https://ghamasan.com/wp-content/uploads/2025/02/GIS_5-scaled-e1738950369545.jpg)
-इसी तरह जो अखबार और टीवी चैनल तुम्हारी आवाज को दबा रहे हैं। सरकार के नुमाइंदे बनकर पेश आ रहे हैं। सरकार और नेताजी के भौंपू बने गए हैं। तुम्हारी, तुम्हारे क्षेत्र, जिला, तहसील और प्रदेश की बुनियादी जरूरतों के सरकार के समक्ष सवाल नहीं उठा रहे हैं…जिन अखबार और टीवी चैनल ने आपकी पीड़ा और समस्याओं को लिखना और दिखाना बंद कर दिया है। तुमको उन अखबारों को खरीदना-पढ़ना और उन टीवी चैनल को देखना भी बंद करना होगा।
हे जनता जनार्दन! यदि ये जन-प्रतिनिधि और अखबार-टीवी चैनल तुम्हारे काम के नहीं हैं, जिन्हें तुम्हारे दुखों और समस्याओं को लेकर तुम्हारी जरा भी चिंता नहीं, आखिर तुमको इन्हें क्यों ढोना चाहिए। तुम इन्हें अपना माई-बाप कब तक बनाए रखेंगे? याद रखना होगा कि तुम्हारी वजह से ही इनका वजूद है।
हे जनता जनार्दन! तुमको इस बात का ध्यान और ज्ञान होना चाहिए कि ये स्थानीय निकायें, ये विधानसभाएं, ये संसद और ये तमाम शासकीय विभागों का भारी भरकम तंत्र एवं लाखों शासकीय सेवकों का अमला और अरबों-खरबों का खर्चा तुम्हारे लिए है। सिर्फ तुम्हारी सेवा के लिए है।
हे जनता जनार्दन! तुम अब भी नहीं जागे कब जागेगे। तुमको इन जन-प्रतिनिधियों ने दीन-हीन और मोहताज तो बना ही दिया है। अंग्रेजी शासन काल को याद कीजिए, आगे ये तुमको जनार्दन से गुलाम बनाकर रखने पर आमदा हैं। गहराई से सोचोगे, तो तुमको गुलाम बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।