शिवराज के ‘मामा’ ब्रांड के बाद एमपी की राजनीति में आया नया रिश्ता, जीजा जी की हुई एंट्री

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By Raj RathorePublished On: September 10, 2025

मध्य प्रदेश की राजनीति में हमेशा नेताओं को अलग-अलग संबोधनों से याद किया जाता रहा है। शिवराज सिंह चौहान को जनता ने ‘मामा’ कहकर इतना अपनाया कि यह सिर्फ नाम नहीं बल्कि एक ब्रांड बन गया। अब इसी परंपरा में नया तड़का जुड़ा है, जहां मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को ‘जीजाजी’ कहकर पुकारा जा रहा है।


रीवा की सभा में गूंजा ‘मोहन जीजाजी हमार’

हाल ही में रीवा के देवतालाब में आयोजित एक जनसभा के दौरान लोकगायिका राखी द्विवेदी ने मंच से एक गीत प्रस्तुत किया – “दिलदारों में दिलदार…मोहन जीजाजी हमार”। यह संबोधन सुनकर पहले तो मुख्यमंत्री शरमा गए, लेकिन धीरे-धीरे मुस्कुराते हुए उन्होंने इस अपनत्व को स्वीकार किया।

लोकगायिका राखी द्विवेदी ने जीता दिल

कार्यक्रम में उपस्थित लोकगायिका राखी द्विवेदी ने यह गीत गाने से पहले मुख्यमंत्री से अनुमति भी ली थी। जैसे ही उन्होंने गीत गाना शुरू किया, माहौल तालियों और जयकारों से गूंज उठा। गीत पूरा होते ही सीएम ने उन्हें 50,000 रुपये का नकद इनाम भेंट किया और सराहना करते हुए कहा कि विंध्य की मिट्टी और यहां की लोक संस्कृति उनका गर्व है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ गीत

लोकगायिका का गाया यह गीत अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। लोग मजाकिया अंदाज में कह रहे हैं कि अब “मामा नहीं, जीजाजी चलेगा।” किसी ने लिखा – “मोहन जीजाजी, दिलदारों में दिलदार”, तो किसी ने कहा कि एमपी को अब नया रिश्तेदार मिल गया है।

क्या बनेगा नया ‘ब्रांड जीजाजी’?

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नेताओं के लिए जनता का अपनापन सबसे बड़ी पूंजी होता है। जिस तरह शिवराज सिंह चौहान के नाम के साथ ‘मामा’ जुड़ गया था, उसी तरह आने वाले समय में डॉ. मोहन यादव को ‘मोहन जीजाजी’ कहे बिना अधूरा महसूस हो सकता है। अगर यह संबोधन लोकप्रिय हुआ तो राजनीति में यह एक नया ब्रांड नेम बन जाएगा।

रीवा में पहले से ही जीजाजी के नाम से मशहूर

दरअसल, रीवा सीएम मोहन यादव का ससुराल है। यहां के लोग उन्हें पहले से ही ‘जीजाजी’ कहकर बुलाते हैं। छोटे हों या बड़े, सभी इसी रिश्ते के साथ उनका स्वागत करते हैं। अब इस गीत के वायरल होने के बाद यह संबोधन पूरे मध्य प्रदेश में फैल सकता है।

जनता का अपनापन ही सबसे बड़ी पहचान

विशेषज्ञों का कहना है कि नेताओं की असली ताकत जनता से जुड़ाव होती है। अगर डॉ. मोहन यादव इस रिश्ते को निभाते हुए जनता का दिल जीतने में सफल रहे, तो निश्चित ही ‘जीजाजी’ का यह संबोधन राजनीति में उनकी एक नई पहचान और लोकप्रियता का प्रतीक बन जाएगा।