नगर निगम के जन्म मृत्यु विभाग द्वारा चलाए गए 10 शव वाहनों पर तैनात निगम के 42 कर्मचारियों ने कोरोना काल में वह कार्य किया है जो अच्छे अच्छे नहीं कर सकते। कोरोना काल के दौरान जब शहर में लगातार संक्रमित मरीजों की मौतें हो रही थी तब उनके परिजन भी शव को हाथ लगाने में डर रहे थे। लेकिन नगर निगम के 42 कर्मचारियों ने संक्रमित मरीजों के शवों को हॉस्पिटल से निकालकर नगर निगम की गाड़ी में रखा और मुक्तिधाम ले जाकर अंतिम संस्कार भी किया । ऐसे वक्त में घर परिवार के लोग भी संक्रमण के डर से दूर हाथ बांधकर खड़े थे। लेकिन इन कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना इन मृतकों के बेटे जैसा फर्ज निभाया। अब तक इन कर्मचारियों का कहीं भी नाम तक का उल्लेख नहीं हुआ है । मेट्रो टुडे के प्रयासों से जो सूची प्राप्त हुई है उसमें उल्लेखित इन कर्मचारियों की सेवाओं को सौ बार भी नमन किया जाए तो कम है। इन कर्मचारियों ने कभी भी अपनी सेवा के बदले सम्मान की इच्छा नहीं रखी। लेकिन निगम प्रशासन और शहर की सामाजिक संस्थाओं का फर्ज बनता है कि ऐसा काम करने वाले जांबाज निगम कर्मियों का सम्मान किया जाना चाहिए और इनकी सेवाओं को आशा कार्यकर्ताओं की तरह प्रोत्साहन राशि देकर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। दुर्भाग्य की बात है अब तक ना ही नगर निगम ने और ना ही शहर की किसी संस्था ने इन कर्मचारियों की सेवाओं को प्रोत्साहन देने की सुध ली है।
नगर निगम के जन्म मृत्यु विभाग के अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर ने भी इस बात की पुष्टि की कि इन कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग से लेकर इस काम मे लगाया गया था। उन्होंने वह काम किया है जो काफी खतरनाक था। इन्हें खुद को संक्रमण से बचाए रखना एक चुनोती भरा कार्य था।
इंदौर न्यूज़देशमध्य प्रदेश

नगर निगम के 42 कर्मचारियों ने निभाया बेटे जैसा का फर्ज

By Mohit DevkarPublished On: June 12, 2021
