नगर निगम के 42 कर्मचारियों ने निभाया बेटे जैसा का फर्ज

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By Mohit DevkarPublished On: June 12, 2021

नगर निगम के 42 कर्मचारियों ने निभाया बेटे जैसा का फर्जनगर निगम के जन्म मृत्यु विभाग द्वारा चलाए गए 10 शव वाहनों पर तैनात निगम के 42 कर्मचारियों ने कोरोना काल में वह कार्य किया है जो अच्छे अच्छे नहीं कर सकते। कोरोना काल के दौरान जब शहर में लगातार संक्रमित मरीजों की मौतें हो रही थी तब उनके परिजन भी शव को हाथ लगाने में डर रहे थे। लेकिन नगर निगम के 42 कर्मचारियों ने संक्रमित मरीजों के शवों को हॉस्पिटल से निकालकर नगर निगम की गाड़ी में रखा और मुक्तिधाम ले जाकर अंतिम संस्कार भी किया । ऐसे वक्त में घर परिवार के लोग भी संक्रमण के डर से दूर हाथ बांधकर खड़े थे। लेकिन इन कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना इन मृतकों के बेटे जैसा फर्ज निभाया। अब तक इन कर्मचारियों का कहीं भी नाम तक का उल्लेख नहीं हुआ है । मेट्रो टुडे के प्रयासों से जो सूची प्राप्त हुई है उसमें उल्लेखित इन कर्मचारियों की सेवाओं को सौ बार भी नमन किया जाए तो कम है। इन कर्मचारियों ने कभी भी अपनी सेवा के बदले सम्मान की इच्छा नहीं रखी। लेकिन निगम प्रशासन और शहर की सामाजिक संस्थाओं का फर्ज बनता है कि ऐसा काम करने वाले जांबाज निगम कर्मियों का सम्मान किया जाना चाहिए और इनकी सेवाओं को आशा कार्यकर्ताओं की तरह प्रोत्साहन राशि देकर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। दुर्भाग्य की बात है अब तक ना ही नगर निगम ने और ना ही शहर की किसी संस्था ने इन कर्मचारियों की सेवाओं को प्रोत्साहन देने की सुध ली है।
नगर निगम के जन्म मृत्यु विभाग के अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर ने भी इस बात की पुष्टि की कि इन कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग से लेकर इस काम मे लगाया गया था। उन्होंने वह काम किया है जो काफी खतरनाक था। इन्हें खुद को संक्रमण से बचाए रखना एक चुनोती भरा कार्य था।